डा समन्वय नंद की कलम से: भारत के आधुनिक शल्यों की शिनाख्त जरुरी
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महाभारत में शल्य एक चरित्र हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि वह जिस पक्ष में होते हैं उसी पक्ष को युद्ध में हमेशा हतोत्साहित करते हैं । शल्य  महाभारत में कर्ण के सारथी थे । वह हमेशा से कर्ण व अपने पक्ष के लोगों को बार बार हतोत्साहित करते थे तथा मनोबल को कम करने का प्रयास करते थे ।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत व चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा में कुछ दिनों से तनावपूर्ण स्थिति रहने के दौरान भी भारत में ऐसे पत्रकार, एंकर, लेखक, बुद्धिजीवी दिखाई दे रहे हैं जो  अपने लेख, भाषणों न टीवी डिबेट में  देश की जनता को यह समझाने की कोशिश में लगे हैं कि चीन शक्तिशाली देश है । भारत को चीन के साथ विवाद को बढाना उचित नहीं है। इससे भारत को नुकसान झेलना होगा । ये लोग देश की जनता को जो निरुत्साह करने वाली  उपदेश दे रहे हैं उसका सार यही है ।



भारत में रह कर भारत का अन्न, पानी व वायु को सेवन कर भारत को निरुत्साहित करने वाले इन आधुनिक शल्यों का ऐसा करने के पीछे का कारण क्या है। ये लोग इतनी मात्रा में चीन के समर्थक कैसे हैं । अपने देश के प्रति उनका इस तरह का दृष्टिकोण क्यों हैं ।


इसका उत्तर ढूंढने के लिए हमें चीन की कार्यशैली पर दृष्टि डालनी होगी । चीन  अन्य देशों को जनमानस को प्रभावित करने के लिए एक विशेष प्रकार की रणनीति पर काम करता रहा है । इसका एक बडा उदाहरण हाल ही में सामने आया है । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रणाधीन चाइना डेली की ओर से 2016 नवंबर के बाद से ही विभिन्न अमेरिकी समाचार पत्रों को 19 मिलियन अमेरिकी डालर प्रदान किया गया है। युएस डिपार्टमेंट आफ जस्टिस में प्रदान किये गये दस्ताबेज में इस बात का उल्लेख किया गया है ।

 युएस डिपार्टमेंट आफ जस्टिस को प्रदान किये गये दस्ताबेज के अनुसार चाइना डेली ने अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट को 4.6 मिलियन आमेरिकी डालर प्रदान किया है । इसी तरह वाल स्ट्रीट जर्नल को लगभग 6 मिलियन डालर प्रदान किया गया है ।

डेली कलर्स नामक वेबसाइट ने इन दस्ताबेजों को उद्धृत कर कहा है कि इन दोनों समाचार पत्रों में चीन के समर्थन में चाइना वाच नामक एक स्तंभ प्रकाशित किया जाताथा । इस स्तंभ के सामग्री को चाइना डेली तैयार कर देता था । इसे विज्ञापन की तरह नहीं बल्कि वास्तविक न्यूज आर्टिकल की तरह प्रस्तुतिकरण किया जाता था । इसके साथ ही इन समाचार पत्रों में सम सामयिक घटनाक्रमों को लेकर बीजिंग के समर्थन में समाचार व विचार प्रस्तुत किये जाते थे । केवल इतना ही नहीं इन दो अमेरिकी समाचार पत्रों के अलावा न्यूयार्क टाइम्स,  फारेन पालिसी, द डेस मोइंस रेजिस्टर, सिक्

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