अक्सर लोग काला जादू का नाम सुनते है तो सबसे पहले अजमेर, बंगाल जैसी जगहों के नाम दिमाग में आते है। लोग इसका नाम सुनते ही डरने लगते है लेकिन आपको बता दें कि काली शक्तियों का प्रतीक काले जादू को मानते हैं। सच तो यह है कि काला जादू नाम का कुछ नहीं होता है। बता दें कि काला जादू एक तरह का मैजिक ही होता है।
व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष कुछ होता है तभी उसके ऊपर काले जादू का असर होता है। अगर सूर्य, चंद्र, शनि और मंगल विशेष भावों से कुंडली में राहु-केतु से पीड़ित होते हैं तभी उन लोगों पर बुरी शक्तियों को असर होता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि काले जादू का असर सूर्य ग्रहण वाले दिन बहुत होता है। दरअसल राशियों की स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव इस दिन आते हैं।
जब भी काला जादू नाम सुनते हैं तो बंगाल का ख्याल सबसे पहले मन में आ जाता है। हालांकि यह सच नहीं है अफ्रीका में काले जादू का उपयोग भारत से ज्यादा होता है। वूडू के नाम से अफ्रीका में काले जादू को बोलाया जाता है। गुड़िया जैसा पुतला इस प्रक्रिया में इस्तेमाल करते हैं। बेसन, उड़द की दाल और आटे जैसे खानों की चीजों से इस पुतले को बनाते हैं। इसके बाद इसमें जान डालने के लिए मंत्र फूके जाते हैं। उसके बाद काला जादू जिस पर भी करना होता है पुतले को जागृत उस नाम को लेकर किया जाता है।
नकारात्मक ऊर्जा का हमला किसी भी व्यक्ति पर होता है तो उसका शरीर प्रतिराेध इसका करता है। बिना किसी वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है। जब भी किसी व्यक्ति पर काला जादू होता है तो उसका मन और मस्तिष्क कमजोर होने लगता है। भयानक सपने रात को सोते समय आते हैं। जिन लोगों पर काला जादू होता है उन्हें अकेलापन पंसद हो जाता है। इसके अलावा उन्हें भूख प्यास नहीं लगती। ऐसे व्यक्ति हमेशा बीमार रहते हैं। इनकी बीमारी के बारे में डॉक्टर पर कई बार पता नहीं लगा पाते। तुलसी के पत्ते घर में अचानक सूख जाते हैं।