नंदिनी के डेयरी प्रोडक्ट्स के सामने अमूल के लिए बड़ी चुनौती, वजह है दाम !
अमूल दूध और नंदिनी दूध


नई दिल्ली : अमूल कंपनी दूध समेत अपने कई प्रोडक्ट को कर्नाटक में उतरने की तैयारी में है. अमूल गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन का प्रोडक्ट है. जबकि कर्नाटक के पास अपना खुद का कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन है. जिसका दूध नंदिनी ब्रांड के नाम से बिकता है. जबसे अमूल दूध के कर्नाटक में आपने प्रोडक्ट को बेचने का ऐलान किया है. अब इसे लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है.  

विपक्ष के नेताओं के मुताबिक अमूल के कर्नाटक में लाने के पीछे नंदिनी के मार्केट को डाउन करने की कोशिश की जा रही है. वहीं, अगर राजनीति से हटकर दोनों के प्रोडक्टों के आंकड़ों पर नजर डाले तो अमूल से नंदिनी के मार्केट पर कोई खास असर पड़ने वाला है. क्यों कि दोनों के दामों में जमीन और आसमान का अंतर है.

ऐसे में अमूल का नंदिनी के सामने ना तो कोई कम्पटीसन नहीं है. लेकिन इससे अमूल को नुकसान जरूर उठाना पड़ सकता है. नंदिनी ब्रांड के दूध अमूल के दाम की तुलना काफी सस्ते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नंदिनी के एक लीटर टोन्ड मिल्क की कीमत बेंगलुरु में 39 रुपये है, जबकि अमूल का एक लीटर टोन्ड दूध दिल्ली में 54 रुपये और गुजरात में 52 रुपये में मिलता है.

इसी तरह अमूल का फुल क्रीम मिल्क दिल्ली में 66 रुपये लीटर और गुजरात में 64 रुपये लीटर मिलता है, जबकि नंदिनी का फुल क्रीम मिल्क 50 रुपये में 900 ml और 24 रुपये में 450 ml आ जाता है. दही की बात करें तो नंदिनी की दही भी एक किलो 47 रुपये में मिल जाता है, जबकि अमूल का 450 ग्राम का पैकेट 30 रुपये में आता है. कीमतों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि किसी भी ब्रांड के लिए नंदिनी से कम्पटीसन करना एक बड़ी चुनौती होगी.

पर नंदिनी के प्रोडक्ट्स इतने सस्ते कैसे हैं?
GCMMF के बाद KMF भारत का दूसरा सबसे बड़ा डेयरी को-ऑपरेटिव है. दोनों लगभग एक ही तरीके से काम करते हैं. साल 2008 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे बीएस येदियुरप्पा. उन्होंने KMF की यूनिट्स में दूध जमा करने पर दूध उत्पादकों को दूध की कीमत के साथ-साथ हर एक लीटर दूध पर 2 रुपये की सब्सिडी देना शुरू किया. पांच साल बाद, यानी 2013 में सिद्धारमैया की सरकार ने सब्सिडी को दोगुना किया, तीन साल बाद उन्होंने इसे बढ़ाकर 5 रुपये प्रति लीटर कर दिया. 2019 में जब येदियुरप्पा फिर से सीएम बने तो उन्होंने सब्सिडी को बढ़ाकर 6 रुपये प्रति लीटर कर दिया. कर्नाटक सरकार दूध उत्पादकों को करीब 1200 करोड़ की सालाना सब्सिडी देती है.

किसी भी प्रोडक्ट को बेचने पर जब उसके उत्पादकों को ज्यादा सब्सिडी मिलती है तो उत्पादक उसे बेचने के लिए प्रोत्साहित होते हैं. इससे उस प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई का बैलेंस बना रहता है. अच्छी सब्सिडी के चलते दूध उत्पादक KMF को दूध बेचते हैं. KMF का रोज़ का दूध प्रोक्योरमेंट करीब 84.5 लाख लीटर हुआ करता था. हालांकि, इस साल जनवरी में आई एक रिपोर्ट के चलते दूध का प्रोक्योरमेंट करीब 10 लाख लीटर तक कम हुआ है. इसके चलते बीते दिनों KMF ने दूध की कीमतें बढ़ाई भी थीं. इसके बाद भी अमूल की तुलना में नंदिनी के प्रोडक्ट्स काफी बजट फ्रेंडली हैं.


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