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जानिए तिल द्वादशी और इस दिन का महात्म
फाइल फ़ोटो


यह पर्व हर साल षटतिला एकादशी के अगले दिन तिल द्वादशी मनाया जाता है। भगवान श्रीहरि विष्णु को पूजा के दौरान तिल के लडडू प्रसाद में भेंट की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि तिल द्वादशी के दिन विधि और श्रद्धा पूर्वक विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनाकामनाएं पूर्ण होती हैं। तिल द्वादशी के दिन गंगा स्नान और तिल दान से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए, तिल द्वादशी के बारे में सबकुछ जानते हैं-

तिल द्वादशी की पूजा विधि-

इस दिन प्रात: काल उठें और सर्वप्रथम भगवान श्रीहरि विष्ण जी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद हाथ में जल लेकर आमचन करें और अपने आप को शुद्ध करें। चूंकि, भगवान विष्णु जी को पीला रंग अति प्रिय है। अत: पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। फिर जल में लाल रंग मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके पश्चात, षोड़शोपचार विधि से भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा करें। पूजा के दौरान ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें। अंत में आरती कर पूजा संपन्न करें।

महत्व-

इस दिन मंदिर और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। साथ ही कीर्तन-भजन कर प्रभू का गुणगान किया जाता है। संध्याकाल में सत्संग किया जाता है। इसमें भगवान के विभिन्न रूपों की कथा सुनाई जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को जन्मांतरों के बंधन से मुक्ति मिलती है। वहीं, मरणोपरांत व्यक्ति को वैकंठ धाम की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को पाप कर्मों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

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