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जानें- सूर्य देव की पूजा विधि और महत्व
फाइल फ़ोटो


जैसे की हम सब जानते हैं माघ माह, शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य जयंती भी कहा जाता है। इस दिन सूर्यदेव ने समस्त जगत को आलोकित करना प्रारंभ किया था। अत: आसान शब्दों में कहें तो रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव का प्रादुर्भाव हुआ है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्यदेव की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। ज्योतिषों की मानें तो करियर और कारोबार में उन्नति और प्रगति के लिए सूर्य का मजबूत होना अनिवार्य है। जिन जातकों का सूर्य मजबूत होता है। 

उन्हें करियर और कारोबार में कोई समस्या नहीं आती है। कई ज्योतिष सरकारी नौकरी पाने के लिए सूर्य मजबूत करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के इच्छुक हैं, तो रोजाना सूर्य देव को जल का अर्ध्य दें। तो आइए, रथ सप्तमी में बारे में सबकुछ जानते हैं-

रथ आरोग्य सप्तमी व्रत विधि-

इस दिन प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम पूर्व की दिशा में होकर सूर्य देव को नमस्कार करें। इसके बाद स्नानादि से निवृत होकर हाथ में जल लेकर आमचन कर खुद को पवित्र करें। अब लाल रंग का वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल में लाल रंग, तिल, दूर्वा, चंदन और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें। 

तत्पश्चात, शुद्ध घी के दीप जलाकर ऊँ घृणि सूर्याय नम:, ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जापकर सूर्य देव का आह्वान करें। अब भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा पीले पुष्प, पीले फल, मिष्ठान, धूप-दीप, दूर्वा, अक्षत आदि चीजों से विधिवत करें। अंत में आरती अर्चना कर पूजा संपन्न करें। रथ सप्तमी के दिन दान का भी विधान है। इसके लिए रथ सप्तमी के दिन जथा शक्ति तथा भक्ति वस्त्र, भोजन आदि चीजों का दान करें।


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