आइए जानते हैं किस वजह से होता है आंखों का संक्रमण इसके बचाव और उपचार के बारे में .....
फाइल फोटो


आपने अपने आसपास कुछ ऐसे लोगों को जरूर देखा होगा जिन्हें आमतौर पर सन ग्लासेज पहनने की आदत नहीं होती, फिर कभी अचानक वे धूप का चश्मा लगाए नजर आते हैं, उनसे बातचीत करने के बाद यह मालूम होता है कि उन्हें आई फ्लू की समस्या है इसलिए उन्होंने ऐसा चश्मा पहना है। 

क्या है मर्ज

कंजक्टिवाइटिस एक खास तरह के एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है, लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। श्वसन तंत्र या नाक-कान, गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण भी लोगों को वायरल कंजक्टिवाइटिस हो जाता है। इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है।

क्या है वजह

आई फ्लू को पिंक आई या कंजक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो यह ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन आंखों में संक्रमण होने के कारण ज्यादा तकलीफदेह हो जाती है। दरअसल, जहां सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता वहां के वातावरण में मौजूद नमी, धूल-मिट्टी, फंगस और मक्खियों की वजह से बैक्टीरिया को तेजी से पनपने का अवसर मिलता है। आंखों का सफेद हिस्सा जिसे कंजक्टिवाइवा कहा जाता है, बैक्टीरिया या वायरस के छिपने के सबसे सुरक्षित स्थान होता है। इसी वजह से गर्मी और बरसात के मौसम में ज्यादातर लोगों को आई फ्लू की समस्या होती है।

प्रमुख लक्षण

  1. आंखों में लाली और जलन
  2. लगातार पानी निकलना
  3. आंखों में सूजन
  4. पलकों पर चिपचिपाहट महसूस होना
  5. आंखों में खुजली और चुभन
  6. अगर इंफेक्शन गहरा हो तो इसकी वजह से आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है।

बचाव एवं उपचार

आई फ्लू से निजात पाने के लिए एंटिबाइटिकल मरहम और ल्यूब्रिकेटिंग आई ड्रॉप की जरूरत होती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना अपने मन से कोई दवा न लें।
अपने हाथों को नियमित रूप से हैंडवॉश से साफ करते रहें।

  • आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं।
  • किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
  • ऐसी समस्या होने पर बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं। आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें।
  • आंखों पर बर्फ की सिंकाई भी जलन और दर्द से राहत दिलाती है।
  • गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
  • सक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीज़ें, जैसे- चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं। इसी तरह अपना तौलिया, रूमाल और चश्मा आदि किसी के साथ शेयर न करें।

अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो एक सप्ताह से पंद्रह दिनों के अंदर यह समस्या दूर हो जाती है।



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