विश्व अस्थमा दिवस : डॉक्टर बीपी सिंह और डॉ एस निरंजन से जाने अस्थमा के लक्षण और बचाव
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लखनऊ। आज विश्व अस्थमा दिवस है। अस्थमा यानी एक ऐसी बीमारी जिसके प्राथमिक लक्षण तो खांसी और कफ है पर अगर समय रहते इसका समुचित इलाज न कराया जाये तो ये जानलेवा हो सकती है। इसी विषय पर आज क्रिटिकल केयर एंड स्पेशलिस्ट फार स्लीप मेडिसिन के डॉक्टर बीपी सिंह और डॉ एस निरंजन सलाहाकार नियुनोटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की। 

इस विषय पर बोलते हुए डॉक्टर बीपी सिंह ने कहा कि अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसका समय रहते इलाज जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज के समय मे लगभग तीन करोड़ भारतीयों में अस्थमा की बीमारी है। वर्तमान में ये भारत पर एक कलंक के रूप में है। उन्होंने कहा कि ये करीबबन 70 प्रतिशत भारतीय है जो बीमारी की गंभीरता को आज भी नही समझ रहे है और न ही इसका सही इलाज करा रहे है जिस वजह से अस्थमा की बीमारी भारत मे बढ़ रही है। 

डॉ सिंह ने कहा कि खास बात ये है कि अगर विश्व अस्थमा फोरम पर हम इसे देखें तो भारत दूसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि ये एक क्रोनिक बीमारी है यानी यदि एक बार हो जाये तो लंबे समय तक बनी रहती है।उन्होंने इस बीमारी का मुख्य लक्षण सांस का लगातार बढ़ते रहना है और ये दिन और रात लगातार बदलता रहता है यानी एक जैसा नही रहता है। यानी कभी दिन में सांस घट सकती है या फिर रात के बढ़ सकती है। ये किसी भी उम्र में हो सकती है नवजात बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक किसी को भी ये बीमारी हो सकती है। उन्होंने कहा कि अस्थमा छुआ छूत की बीमारी नही है। उन्होंने कहा कि अगर इसका ईलाज न करें तो जानलेवा हो सकती है कुछ लोगों में।

 उन्होंने कहा कि अस्थमा को पूरी तरीके से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन इसकी अच्छे से नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज के समय मे भारत मे एक लाख से ज्यादा मौतें आस्थमा से हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अस्थमा बढ़ने के प्रमुख कारण हैं इंफेक्शन, कोल्ड, एलर्जी आदि। इसी तरह कुछ दवाएं जैसे एस्प्रिन, नेग्लोफिगेट आदि ये वो कारक है जो अस्थमा की बीमारी को बढ़ावा देते है। इसके अलावा मौसम का बदलाव खासकरके जब बिजली कड़कती है ये भी अस्थमा की बीमारी को बढ़ा सकता है जिनमे अस्थमा की बीमारी है। 

अस्थमा के प्रमुख लक्षण

डॉ सिंह ने अस्थमा के प्रमुख लक्षणों को बताते हुए कहा कि पहला लक्षण सांस का फूलना है दूसरा है बीजिंग यानी जब आप सांस छोड़ रहे तो उसमें एक खास तरह की सिटी बजती है जिसे हम विजिंग कहते है,तीसरा है सीने में भारीपन होना और चौथा है खासी का आना। ये आस्थमा के प्रमुख लक्षण है। 

कैसे पहचाने की अस्थमा है कि नही..

डॉ सिंह ने कहा कि इसको अस्थमा को पहचानने का सबसे सही तरीका है का मरीज का इतिहास जानना कि उसके लक्षण क्या है, कब से है। उन्होंने कहा कि अस्थमा की डाईगोंसिस सबसे असरदार तब ही होगी जब मरीज का पूरा इतिहास डॉक्टर को पता हो। अस्थमा में एक बात ये भी मायने रखती है कि मरीज के परिवार में किसी को अस्थमा पहले था तो नही क्योंकि यदि परिवार को किसी अस्थमा रहा होगा तो मरीज में आस्थमा उसी के अनुरूप होगा। उन्होंने कहा कि यदि लक्षणों में उतार चढ़ाव है तो ये भी अस्थमा का ही संकेत है। उन्होने कहा कि कभी कभी नार्मल स्थिति में भी मरीज को अस्थमा हो सकता है। इसे हमें समझना होगा। उन्होंने कहा कि मरीज के लंग्स मेजरमेंट से भी हम अस्थमा को पहचान सकते है।

 वही डॉक्टर डॉ एस निरंजन ने कहा कि बच्चों में भी अस्थमा की बीमारी हो सकती है। उन्होंने कहा कि ज्यादतर ये जेनेटिक होता है। उन्होंने कहा कि यदि परिवार के किसी सदस्य को अस्थमा है तो संभव है कि बच्चे को भी अस्थमा हो सकता है। 

कैसे पहचाने की बच्चे को अस्थमा है कि नही..

डॉ निरंजन ने कहा कि वैसे तो नवजात शिशु जैसे जैसे बड़ा होता है उसने इमन्युटी सिस्टम जेनरेट होते है जिस वजह तक चार साल की उम्र तक बच्चे को कोल्ड, खांसी, वायरल आदि होना स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि यदि चार साल की उम्र तक यदि बच्चे को खासी, वायरल, जुखाम आदि हो रहा है तो घबराने की कोई बात नही। लेकिन यदि चार साल के बाद भी बच्चे में खांसी बढ़ती है , कफ बढ़ता है, तो ये अस्थमा के संकेत है इसमें मुख्य बात है बुखार। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे के खांसी के साथ कभी कभी बुखार भी है तो ये अस्थमा का लक्षण हो सकता है।

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