इन 3 टेस्ट से करें फैटी लिवर की पहचान
फैटी लिवर


लिवरहमारे शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें आमतौर पर कुछ फैट मौजूद होते ही हैं, लेकिन जब शरीर में इस फैट की मात्रा लिवर के वजन के 10% तक पहुंच जाए, तो इसे फैटी लि वर माना जाता है। फैटी लिवर शराब के कारण भी हो सकता है, जिसे अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD) कहते हैं और कई लोगों को यह बिना शराब पिए भी हो सकता है, जिसे नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) कहा जाता है।

इसके लक्षण आमतौर पर बहुत प्रभावी रूप से दिखते नहीं हैं। स्किन का पीला पड़ना, थकान, पेट दर्द, वजन घटना या बढ़ना कुछ ऐसे मामूली लक्षण हैं, जो आमतौर पर किसी को समझ नहीं आते हैं कि ये असल में फैटी लिवर के लक्षण भी हो सकते हैं। इससे लापरवाही हो सकती है और बीमारी गंभीर हो सकती है, जिससे इलाज में देरी की संभावना बनी रहती है। इसलिए इसे एक साइलेंट डिजीज भी माना जाता है। ऐसे में इसके गंभीर परिणाम से बचने के लिए समय रहते इसकी स्क्रीनिंग बेहद जरूरी होती है। आज इस आर्टिकल में फैटी लिवर का पता लगाने के लिए कुछ जरूरी टेस्ट के बारे में-

फैटी लिवर की स्क्रीनिंग

आमतौर पर बिना किसी खास लक्षण के NAFLD को पहचानना मुश्किल होता है, लेकिन आम रूटीन वाले ब्लड टेस्ट में कुछ टेस्ट ऐसे किए जा सकते हैं, जिससे बीमारी का अंदाजा लगाया जा सके।

फैटी लिवर के लिए कराएं ये टेस्ट-

लिवर फंक्शन टेस्ट– इससे लिवर में मौजूद इंफ्लेमेशन और संक्रमण का पता चलता है।
अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन या एमआरआई- इससे शरीर के अंदर मौजूद लिवर की रूपरेखा और बनावट को देखा जा सकता है। ये लिवर फाइब्रोसिस को दिखा देता है।
लिवर बायोप्सी- अगर ब्लड टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट से बीमारी का पता नहीं किया जा सकता है, तो डॉक्टर लिवर बायोप्सी की सलाह दे सकते हैं। इसमें लिवर तक एक सुई डाली जाती है और फिर लिवर टिश्यू निकाल कर उसका टेस्ट किया जाता है। इससे बीमारी का स्पष्ट रूप से पता चलता है।

फैटी लिवर से कैसे बचे


  • हेल्दी डाइट फॉलो करें।
  • वजन नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज और वर्कआउट करें।
  • कम तेल मसाला फ्राइड, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।
  • स्क्रीनिंग के बाद फैटी लिवर का पता चलने पर डॉक्टर के निर्देशानुसार खानपान और दवाइयों का सख्त रूप से पालन करें।

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