विदेशों में भी मनायी गयी नेताजी की जयंती
फाइल फ़ोटो


सिंगापुर : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर रविवार को सिंगापुर के भारतीय उच्चायोग में हुई संगोष्ठी में सिंगापुर के मशहूर लेखक असद लतीफ ने कहा कि भारत की तरह ही नेताजी सिंगापुर के इतिहास का भी अहम हिस्सा है। भारतीय उच्चायोग की तरफ से आयोजित संगोष्ठी में लतीफ ने कहा कि उन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग और इंडियन नेशनल आर्मी का पुनरोद्धार कर मलय (दक्षिणपूर्व एशिया) में काम करने वाले भारतीयों मजदूरों में आत्मसम्मान जगाकर इस क्षेत्र में जनराजनीति को आकार दिया।

सिंगापुर की आजादी में नेताजी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए लतीफ ने कहा कि उन्होंने भारत की तरह ही सिंगापुर में भी ब्रिटिश साम्राज्य की पकड़ को खत्म किया। आज के सिंगापुर के लिए स्टैमफर्ड रैफल्स (सिंगापुर के संस्थापक ब्रिटिश अधिकारी) के विपरीत नेताजी की भूमिका अधिक प्रभावी है। ‘नेताजी इन द इंडियन मेकिंग ऑफ सिंगापुर’ किताब पेश कर उन्होंने कहा कि 1867 तक भारत सरकार के बंदरगाहों में कोलकाता के बाद सिंगापुर था। असल में सिंगापुर औपनिवेशिक भारत का विस्तार था। 

भारत के साथ ही दुनियाभर के कई देशों में रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि श्रीलंका में नेताजी को बहुत सम्मान से याद किया जाता है। जर्मनी में भारतीय दूतावास ने नेताजी की 125वीं जयंती की पूर्व संध्या पर उनकी बेटी अनीता बोस की मेजबानी की। भारतीय दूतावास ने ट्विटर पर बताया कि डॉ. अनीता बोस ने अतिथि पुस्तक में जयहिंद’ लिखा।

मलयेशिया में आजाद हिंद फौज के दिग्गजों ने नेताजी को याद कर अपने अनुभव, साझा किए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ट्विटर पर एक डॉक्यूमेंट्री- एट द अल्टार ऑफ इंडियाज फ्रीडम’ – आईएनए वेटरन्स ऑफ मलेशिया को साझा किया। इसका निर्माण मलेशिया में भारतीय दूतावास ने किया है।


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