ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हो रही हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने गंभीर, गठित किया जांच मिशन
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जेनेवा : ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हो रही घातक हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित कर ईरान में हिंसा की जांच के लिए विशेष टीम भेजने का फैसला हुआ। इस प्रस्ताव के लिए हुए मतदान से भारत गैरहाजिर रहा। ईरान में बीते सितंबर माह में 22 वर्षीय महसा अमीन की पुलिस हिरासत में मौत के बाद लगातार आंदोलन जारी है। वहां प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कठोर हिंसक कार्रवाई की जा रही है। 


संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टूर्क ने ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग की थी। इस पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक विशेष सत्र बुलाकर जांच मिशन गठित करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव के समर्थन में 25 देशों ने और छह देशों ने विरोध में वोट किया। भारत सहित 16 देश मतदान से अनुपस्थित रहे। ऐसे में 25 देशों का समर्थन पाकर प्रस्ताव पारित हो गया और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने ईरान में जांच मिशन भेजने का फैसला कर लिया।

इस विशेष सत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टूर्क ने कहा कि ईरान में जो कुछ हो रहा है, वह बेहद तकलीफदेह है। बच्चों के मारे जाने की तस्वीरें, रास्तों-सड़कों पर महिलाओं को पीटे जाने की तस्वीरें और लोगों को मौत की सज़ा सुनाए जाने की तस्वीरें अब ईरान के लिए आम हो गयी हैं। इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड समेत देश के सुरक्षा बलों ने आंदोलन के खिलाफ जानलेवा बारूद और गोलीबारी का प्रयोग किया है। ये प्रदर्शन अब ईरान के सभी राज्यों के 150 शहरों में और 140 विश्वविद्यालयों में फैल गए हैं।

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