नई दिल्ली : चीन क्या ईरान से गुपचुप तरीके से तेल खरीद रहा है? अमेरिकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने विभिन्न देशों से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है. रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद चीन एक तरह की ‘बार्टर सिस्टम’ (सामान के बदले सामान) के जरिये ईरान से तेल ले रहा है और इसके बदले में वहां कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार्टर सिस्टम के तहत ईरानी तेल की खेप चीन भेजी जाती है और बदले में चीन की सरकारी कंपनियां ईरान में सड़क, पुल और दूसरी ढांचागत परियोजनाएं बनाती हैं. अख़बार ने यह भी दावा किया कि इस तंत्र में चीन की एक गोपनीय बीमा कंपनी शामिल है.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पिछले साल इसी बार्टर सिस्टम के जरिये लगभग 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 70,000 करोड़ रुपये) के तेल भुगतान किए गए, जिसका इस्तेमाल ईरान में चीनी प्रोजेक्ट्स की फंडिंग में हुआ.
शैडो फ्लीट से अमेरिका की आंख में धूल
इससे पहले, अगस्त में सीबीएस न्यूज़ की एक जांच में भी खुलासा हुआ था कि चीन अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए ‘शैडो फ्लीट’ के जरिये ईरान से चुपचाप तेल मंगा रहा है. यह ऐसा गुप्त जहाजी बेड़ा होता है, जिसमें बताया तो कुछ और जाता है, लेकिन अंदर माल कुछ और ही भरा होता है. दरअसल ईरान ने वर्ष 2015 में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, चीन और रूस के साथ परमाणु समझौते (JCPOA) पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते के तहत ईरान को परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के बदले प्रतिबंधों में राहत दी गई थी.
ट्रंप ने ईरान पर लगाए थे सख्त प्रतिबंध
हालांकि, मई 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को JCPOA से बाहर कर लिया और ईरान पर फिर से सख्त प्रतिबंध लगा दिए. इसके जवाब में ईरान ने भी समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताएं धीरे-धीरे छोड़ दीं और यूरेनियम संवर्धन तथा परमाणु अनुसंधान पर लगी पाबंदियां हटाना शुरू कर दिया. रिपोर्ट के ये खुलासे ऐसे समय में सामने आए हैं, जब अमेरिका और उसके सहयोगी ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पहले ही सख्त रुख अपना चुके हैं.




