क्या ख़त्म हो जाएगा EWS आरक्षण, हो रही सुप्रीम सुनवाई
क्या गैर सहायता प्राप्त निजी संस्थानों में प्रवेश के संबंध में राज्य को विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कहा जा सकता है?


लखनऊ:- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण को चुनौती की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस बात की जाँच करेगी कि क्या 103वां संविधान संशोधन द्वारा पेश किया गया| यह क़ानून,संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन तो नही करता है।गुरुवार को, भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले पर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल द्वारा सुझाए गए चार मुद्दों में से पहले तीन की जांच करने का फैसला किया॥

जिसने इसे रेखांकित ये हैं कि क्या 103वें संविधान संशोधन को आर्थिक मानदंडों के आधार पर राज्य को आरक्षण सहित विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर संविधान के मूल ढांचे को भंग करने वाला कहा जा सकता है?  क्या गैर सहायता प्राप्त निजी संस्थानों में प्रवेश के संबंध में राज्य को विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कहा जा सकता है?  और क्या इसे ईडब्ल्यूएस आरक्षण के दायरे से एसईबीसी (सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग) / ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) / एससी (अनुसूचित जाति) / एसटी (अनुसूचित जनजाति) को छोड़कर संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन कहा जा सकता है।  ?

मामले की सुनवायी कर रही बेंच, में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं, अपने आगे कार्यवाही में बेंच ने कहा कि एटोर्नि जेनरल द्वारा  सुझाए गए चार मुद्दों का अध्ययन किया,तत्पश्चात पाया कि पहले तीन मुद्दे प्रासंगिक हैं।यू-यू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा की हमने यह पहले ही निर्धारित कर लिया है कि इस मुद्दे का दूसरा पहलू पर सुनवायी 13 सितम्बर को होगी 

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