सदन की गरिमा को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी: ओम बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ने नये विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम एवं ई-विधान व्यवस्था का किया शुभारम्भ (Photo : Dheeraj Dhawan)


लखनऊ : विधान सभा के सदनों में विधायकों की उपस्थिति में आ रही कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जनता ने विधान सभा के लिए चुनकर भेजा है। सदस्यों को सदन की कार्यवाही में ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहिए। उन्हें पुरानी बहस और चर्चाओं का अध्ययन करना चाहिए। इससे उन्हें सीख मिलेगी। सदन की गरिमा बनाए रखना हमारी ही जिम्मेदारी है। इसलिए पूरी गम्भीरता से सदन की कार्यवाही में उपस्थिति दर्ज कराएं। 





लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को यहां उप्र की 18वीं विधान सभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम और ई-विधान व्यवस्था का शुभारम्भ किया। विधान सभा मण्डप में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का अहम योगदान रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन से अबतक यहां के नेताओं ने देश के विकास में सराहनीय योगदान दिए हैं। इसी प्रदेश ने देश को नौ प्रधानमंत्री दिए हैं। मौजूदा समय के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी प्रदेश से संसद पहुंचे हैं।

सदन में सार्थक बहस से गरीब का पोछ सकेंगे आंसू
ओम बिरला ने कहा कि विधान मण्डल में हम ऐसी सार्थक चर्चा करें जिससे समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्तियों के आंसू पोछ सकें। उनके जीवन में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन ला सकें। आंबेडकर ने सही कहा था कि अगर राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ सामाजिक लोकतंत्र भी स्थापित होगा तो हम सार्थक बदलाव कर सकेंगे। समाज के सभी लोगों को वंचित, गरीब, पीड़ित और शोषित की आवाज उठनी चाहिए। मुझे आशा है जो उप्र विधानसभा अपनी गौरवशाली परम्परा को आगे भी बढ़ाएगी। यह सदन चर्चा और संवाद का केन्द्र बनना चाहिए। जितनी चर्चा होगी और संवाद होगा, उतना ही जनता की समस्याओं का समाधान कर सकेंगे।

सदन की गिरती गरिमा पर दिखी चिंता
उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भी हमने चिंता व्यक्त की है। सदन में हंगामा हो रहा है। इससे सदनों की गरिमा गिरती जा रही है। सदन की गरिमा बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। विधानसभा और लोकसभा प्रतिनिधियों के लिए होती हैं। उनके आचरण के आधार पर सदन की गरिमा बनती है। इसलिए आपसे आग्रह है कि हम विधान मंडलों की मर्यादाओं और गरिमा को बनाए रखने के लिए उच्च कोटि की चर्चा, संवाद करें। हम तर्कों से बात करें। तथ्यों के आधार पर बात करें। जनता की समस्याओं को ठीक से सदन में रखें। बहुत से राजनेता इन्हीं विधानसभाओं से निकले हैं जिन्होंने तर्कों के आधार पर विधानसभा और लोकसभा में अपनी बातें रखी हैं।

कानून बनाने से पहले हो सार्थक चर्चा
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद और विधानसभा का मूल काम कानून बनाने का है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा का अपना गौरव पूर्ण इतिहास रहा है। महत्वपूर्ण कानून इस विधानसभा ने बनाए हैं। लोगों के सामाजिक, आर्थिक जीवन में व्यापक परिवर्तन कर उनको संवैधानिक अधिकार मिले और उनका जीवन सरल-सहज हो। कानून के माध्यम से उनको त्वरित गति से न्याय मिल सके। इसके लिए इस विधानसभा का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय हमें व्यापक चर्चा करनी चाहिए। संवाद करना चाहिए। कानून बनाने के पहले हमें जनता से भी संवाद करना चाहिए। जितनी चर्चा और संवाद होगा, उतना ही बेहतर कानून बनेगा। जिस जनता के लिए कानून बनाया जा रहा है, उस जनता का भी इस कानून से कल्याण होगा। देश की सरकार, वह चाहे किसी भी दल की हो, उसका एक ही मकसद रहता है कि कानून बनाकर लोगों को संवैधानिक अधिकार दें, न्याय का अधिकार दें। दैनिक जीवन में जो कठिनाइयां परेशानियां आती हैं, उसको सरलता दें।

नये विधायकों को पुरानी चर्चाओं और कार्यवाही का अध्ययन करने की सलाह
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कानून बनाते समय चर्चा और संवाद की कमी आ रही है। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। नये विधायकों को पुरानी चर्चाओं और डिबेट को देखना चाहिए। अध्ययन करना चाहिए। इससे उन्हें बड़ा अनुभव मिलेगा। जिस तरह से हमने एक देश एक विधायी प्लेटफार्म बनाने का प्रयास किया है, उस पर आप को पूरे देश की विधानसभाओं, लोकसभा, राज्यसभा, सारे सदनों की कार्यवाही मिलने लगेगी। आप देख सकेंगे कि किस तरह से कानून बनाने के लिए चर्चा हुई। लोगों के सुझाव आए। उसका अध्ययन करेंगे तो उतना ही बेहतर तरीके से कानून पर आप चर्चा कर पाएंगे। इसलिए सदन के सभी सदस्यों से अपेक्षा है कि वे रिसर्च करें और ज्यादा से ज्यादा समय विधानसभा में बैठें। जितना समय आप विधानसभा के अंदर बैठेंगे, आपको उतनी देर अनुभवी विधायकों का मार्गदर्शन मिलेगा। उनके तर्कों, बातों को समझने का मौका मिलेगा।

देश और दुनिया की सबसे बड़ी विधान सभा मार्गदर्शन करने योग्य बने
देखने में आ रहा है कि सदनों में विधायकों के समय देने की परम्परा में लगातार कमी आती जा रही है। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। हमें जनता ने विधानसभा के लिए चुन कर भेजा है। विधानसभाओं की कार्यवाही में भाग लेकर उनकी बातों को, उनकी कठिनाई को दूर करने के लिए चर्चा करने के लिए भेजा है। इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि आप इस दिशा में भी काम करेंगे और कोशिश करेंगे कि देश और दुनिया की सबसे बड़ी यह विधानसभा चर्चा और संवाद का केंद्र बने जो सभी विधानसभाओं का मार्गदर्शन कर सके। इस मौके पर विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने भी अपने विचार व्यक्त किये। विधायकों का प्रबोधन कार्यक्रम दो दिन तक चलेगा। समापन सत्र में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगी।

18वीं विधान सभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम और ई-विधान व्यवस्था की झलकियां 


















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