लखनऊ : उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में केवल एक सीट आजमगढ़ में प्रत्याशी उतारने वाली बसपा प्रमुख मायावती की पार्टी भले तीसरे पायदान पर रही हो लेकिन उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं की पीठ थपथपाने में देरी नहीं कीं। मायावती ने कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के साथ ही उम्मीदवार की सराहना की है। साथ ही इस जज्बे को लोकसभा के आम चुनावों तक बनाए रखने का हौसला भी बढ़ाया है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का आमतौर पर उपचुनाव से दूरी बनाकर रखने का ही रिकार्ड रहा है। इस बार बसपा ने दो लोकसभा सीटों में से केवल एक सीट आजमगढ़ में चुनाव लड़ने का फैसला किया। बहुतायत में मस्लिम और यादव मतदाताओं के होने की वजह से आजमगढ़ को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। सपा के पक्ष में यहां परिणाम भी आते रहे हैं।
दरअसल वह इस बात को भी बार-बार याद दिलाती रहीं हैं कि बसपा ही भाजपा को हरा सकती है। बसपा की रणनीति है कि मुस्लिम, दलित गठजोड़ के साथ अन्य वर्गों का कुछ वोट हासिल कर सत्ता में आया जा सकता है। उनका यह प्रयोग तो आजमगढ़ में असफल रहा। जानकारों का मानना है कि इसका लाभ भाजपा को जरूर मिल गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को आगे की रणनीति में बदलाव करना होगा। तब ही वह चुनाव में मजबूती से उपस्थिति दर्ज करा सकेगी।