पढ़े- कब रखा जाएगा ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
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धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस विशेष दिन पर माता लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और दुखों का नाश होता है। साथ ही इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने से मानसिक तनाव दूर हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन वट सावित्री पूर्णिमा व्रत भी रखा जाता है। लेकिन कुछ लोगों को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के तिथि को लेकर कुछ उलझने बनी हुई हैं। 

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 03 जून को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक होगा और इस तिथि का समापन 04 जून को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा। बता दें कि ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन रात्रि के समय चंद्र देव की उपासना की जाती है। इसलिए ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 03 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। पवित्र स्नान 04 जून 2023 के दिन किया जाएगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन तीन अत्यंत शुभ समय का संयोग बन रहा है। बता दें कि इस दिन अनुराधा नक्षत्र पूर्ण रात्रि रहेगी, वहीं इस विशेष दिन पर सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है जो दोपहर 02 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और पूर्ण रात्रि तक रहेगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत महत्व 

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण या पाठन करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही इस विशेष दिन पर माता लक्ष्मी की उपासना करने से धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव की उपासना करने से और रात्रि के समय उन्हें अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मकता आती है। साथ ही कुंडली में चंद्र दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।


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