इस विस्फोटक बल्लेबाज को बनाए फिनिशर, सुनील गावस्कर
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दक्षिण अफ्रीका की पहले वनडे में भारत पर आसान जीत के बाद टीम इंडिया का थिंक टैंक दूसरे मैच में अंतिम एकादश के संयोजन को लेकर गंभीरता से सोच विचार कर रहा होगा। आखिर तीन मैचों की सीरीज में बने रहने के लिए दूसरे मैच में भारत को हर हाल में जीत जो चाहिए। टीमें बहुत अधिक बदलाव करने से कतराती हैं क्योंकि इस कदम को घबराहट की निशानी के तौर पर देखा जाता है। भारत के पास प्रतिभाओं की जिस कदर भरमार है उसे देखते हुए अभी खतरे का बटन दबाने की कोई जरूरत नहीं है।

बदलाव उन क्षेत्रों में होने चाहिए जिन्हें मजबूत किया जा सकता है। पहले मैच को देखकर जो बात तुरंत दिमाग में आती है वो ये कि नई गेंद से प्रदर्शन में गेंदबाजों का दम नहीं दिखा तो मध्यक्रम में भी जरूरी लय नजर नहीं आई। भुवनेश्वर कुमार और शार्दुल ठाकुर दोनों ने ही रन लुटाए। हालांकि जब दक्षिण अफ्रीका का दबाव कुछ कम हुआ तो शार्दुल ने एक आक्रामक अर्धशतक लगाकर इसकी भरपाई कर दी। पिछले कुछ समय से भुवनेश्वर आखिरी ओवरों में रनों पर काबू पाने में कामयाब नहीं हो रहे हैं जैसा कि वह हुआ करते थे।

ऐसे में अगर भारत इन मुकाबलों को अगले साल घरेलू जमीन पर होने वाले आइसीसी विश्व कप के लिए कोर टीम बनाने के तौर पर देख रहा है तो इस काम को अभी से अंजाम देना शुरू कर देना चाहिए। ये सीरीज आइसीसी सुपर लीग का हिस्सा नहीं है इसलिए इसमें हार से क्वालीफिकेशन को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। बेशक मेजबान होने के नाते भारत को स्वाभाविक प्रवेश मिलेगा लेकिन ये तरीका इस भारतीय टीम के लिए नहीं बना है।

शिखर धवन और विराट कोहली के बीच शानदार साझेदारी के बाद मध्यक्रम बुरी तरह लड़खड़ा गया। रिषभ पंत के साथ श्रेयस और वेंकटेश अय्यर इस प्लेटफार्म का लाभ उठाकर टीम को जीत की मंजिल तक नहीं पहुंचा सके। पंत को हालिया समय में वनडे क्रिकेट में चौथे नंबर पर उतारा गया जहां वह धैर्य और आक्रामकता के बीच संयोजन तलाशते नजर आए। इसलिए अगर उन्हें फिनिशर के तौर पर नंबर छह पर उतारा जाए तो ये अच्छा कदम हो सकता है। इस नंबर पर वह बिना किसी बात की अधिक चिंता किए अपने शाट खेल सकेंगे।

एक बल्लेबाजी पिच पर दोनों स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और युजवेंद्रा सिंह चहल ने कमाल का काम किया और गर्म मौसम में उनकी भूमिका और भी अहम रहेगी। दक्षिण अफ्रीका का टीम शानदार लय में है और भारत को उन्हें रोकने और खुद को बचाने के लिए गेंद और बल्ले दोनों से जान लगानी होगी। 

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