चुनाव के दौरान मुफ्त के 'रेवड़ी कल्चर' में चीजें बांटने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से कही ये बात
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नई दिल्ली : चुनाव के दौरान मुफ्त में चीजें बांटने वाली पार्टियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना रुख साफ करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा ये गंभीर मसला है. सरकार इस पर क्यों अपना रुख साफ नहीं कर रही है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मामले में वित्त आयोग से राय पूछे और कोर्ट को अवगत कराए.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में इस बात की मांग की गई है कि फ्री में चीजें बाटने वाले और वादा करने वाले ऐसे राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए जो इस तरह की सुविधा देने की बात करते हैं. यही कारण है कि राजनीतिक दल लोगों के वोट खरीदने की कोशिश करते है. ये चुनाव प्रक्रिया को दूषित करता है और सरकारी खजाने पर बेवजह बोझ का कारण बनता है.

EC और केंद्र दोनों ने झाड़ा पलड़ा
आज सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों ही इस मसले पर पल्ला झाड़ते नजर आए. चुनाव आयोग के वकील अनिल शर्मा ने कहा कि आयोग ऐसी घोषणाओं पर रोक नहीं लगा सकता, केंद्र सरकार कानून बनाकर ही इससे निपट सकती है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से 3  ASG के एम नटराज ने कहा कि ये मामला चुनाव आयोग के दायरे में आता है.

SC ने केंद्र से पूछे सवाल
चीफ जस्टिन एन वी रमना ने केंद्र सरकार की इस दलील पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इससे अपने आप को अलग नहीं कर सकती. जस्टिस रमना ने ASG से कहा तो क्या मैं इस बात को रिकॉर्ड पर लूं कि सरकार को इस मसले पर कुछ नहीं कहना है? क्या ये गंभीर मामला नहीं है? केंद्र सरकार इस पर स्पष्ठ रुख रखने से क्यों हिचक रही है? अदालत ने फिर केंद्र सरकार को एक हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष साफ करने को कहा.

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