शिक्षकों के प्रशिक्षण से पठन-पाठन के तौर-तरीकों का होता है विकास- जिलाधिकारी
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सिद्धार्थनगर : जिले के प्राथमिक विद्यालय करौंदा मसिना में चहक उत्सव कार्यक्रम का बुधवार को जिलाधिकारी संजीव रंजन द्वारा फीता काटकर उद्घाटन किया गया।
 चहक उत्सव कार्यक्रम में विद्यालय के अध्यापको द्वारा जिलाधिकारी संजीव रंजन को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया। स्कूल के छात्र/छात्राओ द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी संजीव रंजन ने बताया कि बच्चों की शिक्षा पर सिर्फ शिक्षक की ही जिम्मेदारी नहीं बल्कि अभिभावकों की भी जिम्मेदारी बनती है। समय अनमोल है शिक्षा पर ही ध्यान देने की जरूरत है। जिलाधिकारी संजीव रंजन ने बताया की कोई व्यक्ति अपने गांव का किसी बड़े पद पर पहुंचता है तो उसके गांव का नाम रोशन होता है इस भावना को लेकर बच्चों की शिक्षा पर जोर देना जरूरी है। इस अवसर पर विद्यालय में उपस्थित सभी शिक्षक अभिभावक उपस्थित रहे छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए खेल का माध्यम बहुत अच्छा रहता है जिलाधिकारी को बच्चों की प्रतिभा देखकर इसे और भी उच्च स्तर पर ले जाने की बात सभी अध्यापकों को बताई। सभी अध्यापको को समय पर स्कूल पहुंचकर बच्चों के प्रति पढ़ाई में रुचि की भावना जगाएं कम से कम हर महीने अभिभावकों को बुलाकर उन्हें बच्चों को घर पर भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। जिलाधिकारी ने बताया कि चहक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को विद्यालय के प्रति सहज बनाना है बच्चों के बीच अपनापन विकसित करने के साथ-साथ शिक्षकों को खेल के माध्यम से बच्चों को पढा़ना है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि चहक कार्यक्रम का संबंध खासतौर से प्रारंभिक विद्यालय से है क्योंकि बच्चों के पठन- पाठन को प्रभावित करने वाला प्रशिक्षण है बच्चों के अंदर वैसे प्रतिभा का विकास किया जाता है कि वह चिड़ियों की तरह चहचहाता रहे। विद्यालय में प्रधानाध्यापक आलोक कुमार मिश्र सहायक अध्यापक अंजली गुप्ता, वंदना, प्रदीप पांडे, पतंजलि मिस्त्री, शिक्षामित्र रामबली मौर्य ग्राम विकास अधिकारी प्रदीप सिंह, ग्राम प्रधान करौंदा मसिना प्रभु दयाल यादव, रोजगार सेवक शीला गुप्ता व समस्त स्टाफ मौजूद रहे।

विधायक ने छात्र-छात्राओं को वितरित किया स्मार्टफोन व टैब, खुशी से खिल उठे छात्र-छात्राओं के चेहरे
सिद्धार्थनगर l जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र अबुल कलाम आज़ाद एजुकेशनल इंस्टीच्यूूट पी जी कालेज व स्वर्गीय तौफीक मेमोरियल डिग्री कॉलेज में बुधवार को प्रदेश सरकार की यूपी फ्री स्मार्टफोन टैबलेट योजना के अंतर्गत जबजौआ डिग्री कालेज में 156 छात्र-छात्राओं को टैबलेट व स्मार्टफोन वितरित किए गए। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डुमरियागंज की सपा विधायक सैयदा खातून ने शिरकत की। विधायक ने अपने संबोधन में कहा कि छात्र-छात्राएं टैबलेट व स्मार्टफोन के जरिए तकनीकी से जुड़कर अपनी शिक्षा व विभिन्न आयामों व देश दुनिया की तमाम तकनीकी चीजों की चीजों की जानकारी रह सकती हैं जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सके, पूरी उम्मीद करती हूं छात्राएं स्मार्टफोन का सही इस्तेमाल करके अपने आगे की पढ़ाई को सफल बनाएंगे।इस दौरान तौफीक मेमोरियल डिग्री कालेज बयारा के प्रबंधक डॉ जहीर अहमद मलिक, पूर्व ब्लाक प्रमुख सोहेल फारुकी, महाविद्यालय के प्रबंधक अयूब अहमद, कालेज के प्राचार्य डॉ अबू सूफियान मलिक, कार्यक्रम संचालक सय्यद मेंहदी, रानू श्रीवास्तव, गंगाराम यादव, संजीव कुमार, श्रीवास्तव कुंवर, जावेद, औव्वल फारूकी, राजेश, शंभू , इमरान, एवम उपस्थिति छात्र छात्रा एवं उपस्थित रहे।

बीबी फ़ातिमा जेहरा दुनिया की औरतों के लिए हैं आदर्श : मौलाना तसदीक हुसैन
सिद्धार्थनगर। जिस ज़माने के ज़मीर फ़रोश, बे ग़ैरत इंसान के भेष में दरिंदे इंसानों को ज़िंदा दफ़्न कर के उस घिनौने काम पर गर्व करते थे, जो बेटी और औरत को अपने लिए अपमान और अछूत समझते थे, यह हैवानियत का वह दौर था जिसमें चारो तरफ़ केवल अत्याचार और ज़ुल्म का अंधेरा छाया हुआ था, उसी अंधेरे को छांट कर उजाला फैलाने के लिए रिसालत के घर इस्मत की ऐसी किरन चमकी जिसकी किरनों ने पूरी दुनिया की आंखों को चकाचौंध कर रखा था, नबुव्वत के घर खिलने वाले इस गुलाब ने पूरी दुनिया को महका दिया था, अरब के उस जेहालत और घुटन के माहौल में पैग़म्बर स.अ. के घर एक बेटी ने इस दुनिया में तशरीफ़ लाकर उस जाहिल समाज को यह समझा दिया कि याद रखो बेटियां कभी बाप के लिए ज़हमत और समस्याओं का कारण नहीं होतीं बल्कि हमेशा रहमत ही का कारण होती हैं। यह उदगार बुधवार की रात डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के कस्बा हल्लौर स्थित वक्फ शाह आलमगीर सानी में पैरवाने विलायत की जानिब से आयोजित आज़ाये अय्यामी फ़ातिमी की चौथी और आखरी मजलिस को दिल्ली से आए मौलाना सय्यद तस्दीक हुसैन ने संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने मर्दों की हिदायत के लिए एक लाख चौबीस हज़ार नबियों को भेजा, नबुव्वत के बाद इमामत के सिलसिले को शुरू किया जो आज तक जारी है, लेकिन बेटियों और महिलाओं के लिए हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. को क़यामत तक की औरतों के लिए आइडियल क़रार दिया।इस्लाम ने औरत को विरासत से महरूम नहीं रखा, यही नहीं बल्कि इस्लाम ने बेटियों और महिलाओं के अधिकार बताएं हैं और औरतों के हुक़ूक़ पर विशेष ध्यान दिया है, क्योंकि हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. ने पैग़म्बर स.अ. की सच्ची और मुबारक ज़बान से ख़ुद सुना था कि ऐ मेरी बेटी फ़ातिमा (स.अ.) मुझे अल्लाह ने हुक्म दिया है कि मैं फ़िदक तुम्हारे नाम कर दूं, अब दुनिया चाहे विरासत को लेकर कितनी ही हदीसों गढ़ ले और नक़ली हदीसें छाप ले लेकिन एक बेटी और एक सिद्दीक़ा की ज़बान से निकली हुई यह बात जिसकी सच्चाई पर क़ुर्आन की दलील भी मौजूद है उसकी बात के आगे बड़े से बड़े ख़लीफ़ा की बात की भी कोई हैसियत नहीं है। यही वह बेटी है जिसने इस्लाम की कश्ती को भंवर से बचाने और इंसानियत को क़यामत तक के लिए दरिंदगी और यज़ीदियत से बचाने के लिए हसन (अ.स.) और हुसैन (अ.स.) जैसे बेटे दिए। अंत में मसायब बयान किया तो हर आंख में आंसू नज़र आये। मजलिस से पूर्व मजलिस से पूर्व हैदरे कर्रार व उनके हमनवा ने मर्सिया पेश किया। मजलिस के दौरान कारी फ़ज़ल अब्बास, लकी हल्लौरी, अहमद हैदर, अलमदार हुसैन, राजू, वज़ीर हैदर विलियम, नफीस, अफसर मेंहदी, इमाम हैदर, हसन सादिक़, आबिद, आरज़ू, फहीम हैदर, नौशाद हैदर मोतवल्ली, लकी, खुर्शीद अहमद नायाब हैदर, काज़िम मेंहदी, अरमान, सीमाब, पप्पू, शाहनवाज हुसैन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।


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