नगर निकाय चुनाव में कम हुआ मतदान : किस पार्टी का नफा और किसका नुकसान ?
फाइल फोटो


कल बृहस्पतिवार को प्रदेश के 37 जिलों में संपन्न हुए नगर निकाय के चुनाव में मतदान प्रतिशत आशा के विपरीत बहुत  कम रहा। अब राजनीतिक विश्लेषक मतदान प्रतिशत में आई इस कमी के आधार पर गुणा भाग कर रहे हैं। लोगों में यह जानने की रूचि है कि मतदाताओं की उदासीनता से किस पार्टी को नफा हुआ है और किस को नुकसान हुआ है।

इतना तो सभी मानते हैं कि केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा हर प्रकार से भारी है लेकिन मतदान प्रतिशत कम होने की वजह से किस पार्टी को फायदा हुआ ,इस बात का मंथन चल रहा है।

राजनीति शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार चुनावी राजनीति के कई चरण होते हैं।   हर एक चरण की परफारमेंस के आधार पर फाइनल रिजल्ट निकलता है । इसमें सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है मतदान के दिन पोल मैनेजमेंट। जिस पार्टी का कैडर जितना ज्यादा मजबूत  और सक्रिय होगा उसका  मैनेजमेंट की उतना प्रभावशाली होता है ।


इस दृष्टि से देखें तो प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने अनुषांगिक संगठनों के बल पर सबसे आगे मानी जाती है ।दूसरे और तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी है जबकि कांग्रेस का कहीं नामोनिशान नहीं दिखाई पड़ रहा है।

कल उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए मतदान में नगर पालिका और नगर पंचायतों में तो लगभग ठीक-ठाक मतदान हुआ लेकिन बड़े शहर अर्थात नगर निगम में अच्छा मौसम होने के बावजूद मतदाताओं की उदासीनता देखने को मिली। ऐसी स्थिति में माना जाता है कि जो कमिटेड वोटर हैं उन्होंने अपने मतदान का प्रयोग अवश्य किया होगा लेकिन फ्लोटिंग वोटर चुपचाप घर बैठे रहे। कुछ ऐसे मतदाता भी उदासीन हो जाते हैं जो किसी पार्टी से बंधे हैं लेकिन उनके मन में यह धारणा बन जाती है कि मेरी पार्टी कहीं कंपटीशन में नहीं है ।

इसलिए वोट देने की जरूरत नहीं है। कल हुए चुनाव में कांग्रेस  पार्टी के परंपरागत मतदाता और बहुजन समाज पार्टी का कैडर वोट इसी मानसिकता का शिकार रहा है । अनुमान यही है कि इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों में अधिकांश की जमानत जप्त हो जाएगी । मुकाबला केवल भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों के बीच ही है।

राज्य चुनाव आयोग ने अधिकारिक रूप से जो मतदान प्रतिशत जारी किया है उसके आधार पर तो केवल फिरोजाबाद नगर निगम में ही  50% से कुछ अधिक मतदान हुआ ।शास्त्र 9 नगर निगमों में आधे से ज्यादा मतदाता घर बैठे रहे । संगम नगरी प्रयागराज में तो एक तिहाई वोट भी नहीं पड़ा ।टोटल पोलिंग परसेंटेज में जो बढ़ोतरी देखी गई वह नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं के कारण ही संभव हो सका है ।


यह भी देखने को मिला है की जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या औसत से अधिक है वहां पोलिंग परसेंटेज बड़ा है ।इसका फायदा तो समाजवादी पार्टी को ही मिलना है, लेकिन ऐसे क्षेत्रों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। कुल मिलाकर यही कह सकते हैं की कम मतदान का अधिक फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला है। जहां सबसे अधिक मतदान हुआ है उसका फायदा समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को मिल सकता है। और सबसे अधिक मतदान हुआ है उसका फायदा समाजवादी पार्टी के जहांप्रत्याशियों को मिल सकता है।


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