2024 में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं अखिलेश यादव
अखिलेश यादव


लखनऊ :  सपा चीफ अखिलेश यादव 2024 में कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। कन्नौज में बढ़ी समाजवादी पार्टी की सक्रियता इस बात का इशारा कर रही है। कयास है क्योंकि अखिलेश यादव के पास कई विकल्प है। वे आजमगढ़ से भी संसद सदस्य रहे हैं और कन्नौज से तो पहली बार जीतकर संसद पहुंचे थे। लोकसभा चुनाव में एक साल बाकी है। सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है। 

उन्होंने सम्भवतः आजमगढ़ की जगह कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया है। 20 साल पहले इसी सीट पर वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे। कन्नौज सपा का गढ रहा लेकिन 2019 में भाजपा से शिकस्त मिली थी। अखिलेश फिर कन्नौज का दुर्ग को जीतना चाहते हैं। उनकी खातिर यह पहला लोकसभा चुनाव होगा, जिसमें  पिता मुलायम सिंह यादव साथ नहीं होंगे। 

1999 से 2018 तक कन्नौज सीट पर यादव परिवार का दबदबा रहा है। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा कर लिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को दूसरी बार मैदान में उतारा था लेकिन वह हार गई। भाजपा के सुब्रत पाठक जीते। 1999 में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज सीट जीती थी लेकिन उन्होंने संभल को बनाए रखने के लिए यह सीट खाली कर दी और 2000 में अखिलेश ने यहा उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था। इसके बाद लगातार दो बार 2004 और 2009 के चुनाव में भी यहां से जीत हासिल की। 

2014 में पार्टी ने डिंपल यादव को कन्नौज से लड़वाया और वह भारी वोटों के साथ जीत गईं। 2019 में उन्हें फिर से उतारा गया लेकिन हार गईं। डिंपल यादव मैनपुरी से लोकसभा सांसद हैं। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी, जिसके बाद पिछले साल उपचुनाव हुआ और डिंपल को जीत मिली। कन्नौज, फर्रुखाबाद साजवादी गढ़ है। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने यहां से लोकसभा चुनाव लड़ा था और अखिलेश लोहिया के अनुयायी हैं। कन्नौज में मुस्लिम, दलित और यादवों का दबदबा है। 

यहां तीन लाख मुसलमान हैं और दलितों एवं यादवों की आबादी 2.8 फीसदी और 2.5 है। राह भले कठिन हो मगर अखिलेश की कन्नौज खास पसंद है। स्थानीय नेता मानते है कि अखिलेश यहां वापसी करते हैं तो इससे आसपास के क्षेत्रों में भी पार्टी को मजबूती मिलेगी। सवाल है, वह राष्ट्रीय राजनीति में उतरेंगे या फिर यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर योगी सरकार को घेरते रहेंगे। नवंबर में 2024 चुनाव लड़ने को लेकर कहा था, हमारा काम ही है चुनाव लड़ना, फिर लड़ेंगे।

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