जैसे सामान्य फास्टिंग शुगर 100 के अंदर होना चाहिए और डायबिटीज के मरीज का फास्टिंग शुगर 125 के ऊपर होता है। ऐसे में 100 से 125 तक का लेवल प्री डायबिटीज की श्रेणी में आता है। आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ विस्तार से-
क्या प्री डायबिटीज वाले को डायबिटीज होना जरूरी है
ऐसा बिलकुल भी नहीं है। सिर्फ जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव और सुधार कर के इस स्थिति से निपटा जा सकता है। अच्छा खान पान, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य का ख्याल रख के प्री डायबिटीज को दूर भगाया जा सकता है।
क्या हैं प्री डायबिटीज के लक्षण
- अधिक भूख लगना
- अधिक प्यास लगना
- बार-बार पेशाब लगना
- थकान
- पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन
- ऐसे घाव जो लंबे समय से भर न रहे हों
- आर्मपिट,पीठ या पीछे गर्दन में अलग से स्किन का काला होना, जिसे अकंथोसिस निग्रिकेंस कहते हैं।
प्री डायबिटीज को डायबिटीज में बदलने से कैसे रोकें
- सबसे पहले अपना वजन कम करें। ऐसा करने से डायबिटीज होने का 50% तक खतरा आप कम कर सकते हैं।
- प्रतिदिन व्यायाम,वर्कआउट या वॉक करने से आप डायबिटीज होने का खतरा काफी हद तक कम कर सकते हैं।
- किसी स्पेशलिस्ट या न्यूट्रीशनिस्ट की राय से सही खान पान सुनिश्चित करें।
- स्मोकिंग और शराब का सेवन बंद करें।
- अपने तनाव को मैनेज करें। जितना हो सके कम तनाव लें।
- कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।
- पर्याप्त नींद लें।
- नियमित ब्लड टेस्ट और शुगर टेस्ट करते रहें।
- शुगर के लेवल पर निगरानी रखें।
क्या प्री डायबिटीज के बाद फिर स्वस्थ स्थिति में जा सकते हैं
जी हां ! आप प्री डायबिटीज की स्थिति को सही खान पान और शारीरिक गतिविधियों से पलट कर वापस अपने अच्छे स्वास्थ्य की ओर जा सकते हैं। संयम बना कर रखें और सावधानी के साथ नियमित जांच भी करते रहें। ऐसा करने से आप फिर स्वस्थ हो सकते हैं।