चलिए जानते  है कैसे पहचानें बच्चों में अस्थमा और इसके ट्रिगर होने की वजह
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बच्चों में अस्थमा की सिचुएशन ऐसी है कि आपको बता दें स्कूल में अनुपस्थिति का भी सबसे सामान्य कारण ये बीमारी है। 1970 के दशक से ब्रोन्कियल अस्थमा लगातार बढ़ रहा है और अब एक अनुमान के अनुसार इससे 4 से 7% दुनियाभर की आबादी प्रभावित है। भारत में लगभग 3.3% बच्चे बचपन में होने वाले ब्रोन्कियल अस्थमा से जूझ रहे हैं।

बच्चों में अस्थमा का ट्रिगर होना

स्टडी के अनुसार, वायरस फेफड़ों को संक्रमित करते हैं, जो अस्थमा के लिए एक बड़ी वजह है। सेकंड-हैंड सिगरेट स्‍मोक यानी दूसरे लोगों द्वारा सिगरेट पीने पर निकलने वाला धुआं भी बचपन में होने वाले अस्थमा का एक महत्वपूर्ण और नॉर्मल वजह है। यह भी साबित हो चुका है कि धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वाले के बच्चों में अस्थमा होने की संभावना अधिक होती है।

पर्यावरण प्रदूषण, वंशानुगत कारणों, खाने-पीने के ऑप्शन्स, एलर्जी के संपर्क में आने और एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप अस्थमा 1 से 14 साल के बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। कुछ सिचुएशन जैसे सर्दी या दूसरे ब्रीदिंग इन्फेक्शन के कारण, दूध पिलाने से शिशुओं में, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रिफ्लक्स और बदलाव या मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भी अस्थमा की बीमारी हो सकती है।

बच्चों में अस्थमा की पहचान करना

5 साल से कम उम्र के बच्चों में अस्थमा की पहचान करना कठिन होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में अस्थमा के प्रमुख लक्षण जैसे घरघराहट और खांसी अन्य बीमारियों के कारण भी होते हैं। इसके अलावा, कोई व्यक्ति कितनी अच्छी तरह या सामान्य रूप से सांस ले रहा है, यह पता करने के लिए उपयोग किए जाने वाले डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट का इस्तेमाल 5 साल से कम उम्र के बच्चों में आसानी से या सटीक तरीके से नहीं किया जा सकता है।

बच्चों में अस्थमा के लक्षण

अस्थमा से पीड़ित बच्चों को अक्सर खांसी और घरघराहट होती है। साथ ही सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ का भी एहसास होता है। ऐसे कुछ लक्षण हैं जो संकेत देते हैं कि बच्चा अस्थमा से पीड़ित हो सकता है जैसे कि बिना किसी रुकावट के सांस लेने में कठिनाई या सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, सांस छोड़ते समय तेज आवाज, सीटी जैसी आवाज और बीच-बीच में कुछ समय के लिए खांसी और घरघराहट होना। बार-बार या पुराने लक्षणों के साथ घरघराहट और खांसी की गंभीर स्थिति और नार्मल संक्रमण या एलर्जी जो मौसमी बदलावों को ट्रिगर कर सकते हैं, यह भी अस्थमा के प्रमुख लक्षण हैं।

यदि कोई बच्चा खुले वातावरण में सांस लेने के लिए हांफ रहा है, या फिर इतनी जोर से सांस ले रहा है कि पेट पसलियों के नीचे दब गया है या सांस लेने के कारण उसे बोलने में कठिनाई हो रही है, तो माता-पिता को बिना ज्यादा देर किए तुरंत डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए। ये गंभीर अस्थमा के लक्षण हैं, जो जानलेवा हो सकते हैं।

अस्थमा का होम्योपैथिक उपचार

अस्थमा से पीड़ित छोटे बच्चों के लिए उपचार का मकसद श्वास मार्ग में सूजन का इलाज करके अस्थमा के अटैक को रोकना है और बिना कोई साइड इफेक्ट के अस्थमा को ठीक करने के लिए प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करना है।

अस्थमा से पीड़ित बच्चों का इलाज करते समय होम्योपैथिक उपचार एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हैं। इसमें न केवल अस्‍थमा का अटैक पड़ने के समय बच्चों को अनुभव होने वाले लक्षणों की, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर होने वाले बदलावों और उतार-चढ़ाव की भी पड़ताल की जाती है। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि बच्चे का स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती में किस प्रकार बदलाव आया है। 

अस्थमा के होम्योपैथिक उपचार के लिए आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों पर विचार किया जाता है, इसमें केवल बीमारी की स्थिति या निदान करने के बजाय बीमारी के स्रोत का इलाज करके इम्‍युनिटी को सक्रिय करने का काम किया जाता है। होम्योपैथिक उपचार अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने में सहायता करता है अस्‍थमा से पीड़ित बच्चे का इलाज होम्योपैथी दवाओं से करने पर, समय के साथ लक्षणों में कहीं ज्‍यादा कमी आने और इनके पूरी तरह से ठीक होने की संभावना अधिक होती है।

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