भारी कर्ज में दबा श्रीलंका ? क्यों ईरान को पिला रहा चाय?
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श्रीलंका की अर्थव्यवस्था नकदी संकट से जूझ रही है. 2022 में आए आर्थिक संकट के बाद से श्रीलंका कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनसे उभरने के लिए सरकार तरह-तरह के उपाय खोज रही है. श्रीलंका सरकार के एक अधिकारिक बयान में बताया गया है कि श्रीलंका ने ईरान के 251 मिलियन डॉलर के कर्ज को चुकाने के लिए 20 मिलियन डॉलर कीमत की बराबर चाय निर्यात की है. कर्ज के छोटे हिस्से को चाय निर्यात से उतारने पर तेहरान ने भी अपनी संतुष्टि जाहिर की है.

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गनवार्डन के ऑफिस ने ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ बातचीत के बाद दिए बयान में कहा, “अब तक बार्टर ट्रेड एग्रीमेंट के तहत ईरान को 20 मिलियन डॉलर की चाय का निर्यात किया गया है.” दोनों देशों के बीच दिसंबर 2021 में ‘चाय के बदले तेल’ समझौता हुआ था, लेकिन आर्थिक संकट की वजह से निर्यात में देरी हुई. आर्थिक संकट के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जुलाई 2022 में पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद दिनेश गनवार्डन ने कुर्सी संभाली.

बार्टर ट्रेड एग्रीमेंट से ईरान को भी फायदा
जहां श्रीलंका में नकदी की खासा कमी है वहीं ईरान भी US के प्रतिबंधों की मार झेल रहा है. बार्टर ट्रेड एग्रीमेंट ईरान को सैंकशन्स से बाइपास कर दूसरे देशों के साथ व्यापार करने की सहूलियत देगा. श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve) की भारी कमी है, श्रीलंका अप्रैल 2022 में अपने 46 बिलियन डॉलर के विदेशी कर्ज न चुकाने पर डिफॉल्ट हो गया था. पिछले साल की शुरुआत में सीलोन ने 2.9 बिलियन डॉलर का IMF बेलआउट हासिल किया था.

2016 में ईरान की चाय खपत का लगभग आधा हिस्सा श्रीलंका से आयात किया जाता था. हालांकि, हाल के सालों में इस अनुपात में गिरावट आई है.

दुनिया का चौथा बड़ा चाय उत्पादक
श्रीलंका अपनी चाय के लिए दुनियाभर में मशहूर है. ये देश काली चाय के उत्पादन के लिए जाना जाता है. अपने अलग स्वाद और खास खुशबू के लिए मशहूर श्रीलंका इस वक्त दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चाय उत्पादक और दुनिया के शीर्ष चाय निर्यातकों में से एक है.


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