अमेरिका ने भारत आ रहे तीन रूसी टैंकरों पर लगाया बैन, जाने क्या है वजह ?
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नई दिल्ली :  फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत रूस से भारी मात्रा में रियायती कीमतों पर तेल खरीद रहा है. अगले कुछ सप्ताह में भी तेल लदे रूसी टैंकर भारत पहुंचने वाले हैं. लेकिन उन तीन टैंकरों की चर्चा हो रही है जिसे अमेरिका ने बैन कर दिया है. इसके बावजूद तीनों टैंकर तेल लेकर भारत आ रहे हैं.

अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ सप्ताह के दौरान भारतीय रिफाइन कंपनियों को कच्चा तेल पहुंचाने वाले टैंकर में कम से कम तीन टैंकर ऐसे हैं जिसे हाल ही में अमेरिका ने बैन किया है. अमेरिका ने शुक्रवार को 14 रूसी तेल टैंकरों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था, क्योंकि वे पश्चिम देशों की ओर से लगाए गए प्राइस कैप से ज्यादा कीमत पर तेल निर्यात कर रहे थे. पश्चिमी देशों की ओर से रूसी तेल की प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल है.

किसी बड़ी समस्या की आशंका नहींः सूत्र
जहाज ट्रैकिंग डेटा से अनुसार, भारत आ रहे तीन टैंकरों में से एक जॉर्जी मैस्लोव इस सप्ताह के अंत में सिक्का बंदरगाह पहुंचेगा.

वहीं, एक अन्य टैंकर अनातोली कोलोडकिन भी अप्रैल में सिक्का बंदरगाह पर पहुंचेगा. इस महीने की शुरुआत में अनातोली कोलोडकिन टैंकर ने वाडिनार बंदरगाह पर कच्चे तेल की डिलीवरी की थी. ब्लैक लिस्ट में शामिल एक और टैंकर एनएस कैप्टन भी मार्च और अप्रैल में वाडिनार बंदरगाह पर तेल लेकर पहुंचेगा.

हालांकि, उद्योग से जुड़े अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि ब्लैक लिस्टेड टैंकर से डिलीवरी से किसी बड़ी समस्या की कोई आशंका नहीं है. क्योंकि अमेरिका ने ब्लैक लिस्टेड टैंकर को 45 दिनों तक तेल निर्यात करने की अनुमति दी है.

45 दिनों के बाद ब्लैक लिस्टेड टैंकर से डिलीवरी नहीं
अमेरिका समेत जी-7 के अन्य देशों ने मिलकर दिसंबर 2022 में रूसी तेल की कीमत कैप लगाने की घोषणा की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस एक महीने में भारत को चार दर्जन कार्गो की डिलीवरी करता है. सूत्रों के अनुसार, ब्लैक लिस्टेड टैंकर के 45 दिन हो जाने के बाद भारतीय रिफाइन कंपनियां इन टैंकरों की मदद से तेल नहीं आयात करेगी.

सूत्रों के मुताबिक, सरकार नहीं चाहती है कि भारतीय रिफाइन कंपनियां खुलेआम जी-7 के प्राइस कैप का उल्लंघन करे. ऐसे में प्रतिबंधों से बचने के लिए कंपनियां स्वीकृत यानी बिना प्रतिबंधित टैंकर से ही डिलीवरी ले. पिछले कुछ महीनों के दौरान भारत आने वाले रूसी टैंकरों द्वारा प्राइस कैप का उल्लंघन के मामले सामने आए हैं. जिसके कारण भारतीय रिफाइन कंपनियों ने कार्गो को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.  


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