आनंद मोहन जेल से रिहा, 90 के दशक में सियासी रसूखदारों में होती थी गिनती
पूर्व सांसद आनंद मोहन


नई दिल्ली : बिहार के बाहुबली राजनेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए हैं. जेल से रिहा होने के बाद आनंद मोहन के स्वागत के लिए सड़कों पर बैनर और पोस्टर की भरमार देखने को मिल रही है. गौरतलब है गोपालगंज के तत्कालीन DM जी. कृष्णैया हत्याकांड के मामले में आनंद मोहन जेल में सजा काट रहे थे. आनंद मोहन का रसूख आज भी उसी तरह का जैसे 16 साल पहले था.

आनंद मोहन का बिहार में राजनीतिक रसूख का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिये कि भी दल खुलकर विरोध नहीं कर रहा है. इतना ही नहीं बिहार सरकार के साथ सात दल जो शामिल हैं वो भी आनंद मोहन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं, विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी चाहते हुए भी विरोध करने से डर रही है.

दरअसल आनंद मोहन की रिहाई 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए की गई है. वहीं एक तरफ ये भी कहा जा रहा है कि आनंद मोहन की रिहाई जातिगत समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है. आनंद मोहन ने 90 के दशक में सवर्ण जाति के नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई थी.

बता दें कि आनंद मोहन के एक भाषण से भूमिहार और राजपूतों मतदाताओं के वोट तय होते थे. तीन दशक के बाद एक बार फिर से आनंद मोहन के उसी राजनीतिक रसूख के सियासी लाभ उठाने की कोशिश है, लेकिन क्या सरकार को आनंद मोहन की रिहाई से किसी तरह का लाभ होगा ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा. क्योंकि कहा ये भी जा रहा है कि  बिहार की राजनीतिक दशा और दिशा दोनों ही बदल गई है.

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