आधुनिक युग के श्रवण कुमार हैं कर्नाटक के कृष्ण कुमार
कृष्ण कुमार


कर्नाटक राज्य के एक गांव के मूल निवासी और इस समय मैसूर शहर में रहने वाले 45 वर्षीय दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार अपनी 73 वर्षीय मां को लेकर  जनवरी 2018 में 20 वर्ष पुराने चेतक स्कूटर पर सवार होकर तीर्थ यात्रा के लिए निकले थे। लगभग 70 हजार किलोमीटर की यात्रा करके आधुनिक युग के श्रवण कुमार उर्फ कृष्ण कुमार 2 दिन पहले लखनऊ पहुंचे थे। यहां निराला नगर स्थित रामकृष्ण मठ में अपनी मां के साथ रुके थे । 2 दिनों में लखनऊ के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों का दर्शन करने के बाद आज  सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ नैमिषारण्य के लिए प्रस्थान कर गए।

तीर्थ यात्रा पर निकलने के बाद कृष्ण कुमार देश के कई राज्यों के अलावा नेपाल भूटान और म्यांमार के भी हिंदू तीर्थों के मंदिरों का दर्शन पूजन कर चुके हैं। सन 2020 में जब कोरोना के कारण लाक डाउन लगा था उस समय वह भूटान में थे और 1 सप्ताह तक की ड्राइविंग करके मैसूर वापस चले गए थे।  lock-down के कारण कई महीनों तक उनकी यात्रा स्थगित रही। जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो फिर अपनी माताजी को लेकर तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े।
उच्च शिक्षित कृष्ण कुमार कारपोरेट सेक्टर में लगभग 15 वर्षों तक टीम लीडर के रूप में काम कर चुके हैं सन 2015 में उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था। उसके बाद वह अपनी माता की सेवा में अधिक रूचि लेने लगे और जनवरी 2018 में अपनी मां की इच्छा के अनुरूप उन्हें समस्त भारतीय भूभाग के तीर्थ स्थानों का दर्शन कराने के लिए निकल पड़े। कृष्ण कुमार अविवाहित हैं ।उनके ऊपर अपनी मां के अतिरिक्त किसी अन्य की जिम्मेदारी भी नहीं है  उनके इस सेवा भाव से भरे हुए अभियान को ‘मातृ सेवा संकल्प यात्रा’ नाम दिया गया है।

कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी माता धर्मनिष्ठ गृहणी हैं । इससे पहले कभी  किसी तीर्थ स्थान पर मंदिर का दर्शन ,पूजन करने नहीं जा सकी थी। उन्होंने कभी  इस तरह की इच्छा भी नहीं व्यक्त किया । लेकिन उनकी भावना को आदर करते हुए मैंने स्वयं उनको तीर्थ यात्रा पर ले जाने का निर्णय लिया और उनको बताया। 

मेरी माता इस योजना से बहुत प्रसन्न हुई ।उनकी सेवा करके मुझे भी अपार सुख और शांति मिल रही है। उन्होंने यह भी बताया कि अध्यक्ष मेरे पिताजी नहीं है लेकिन उनके द्वारा खरीदा गया बजाज चेतक स्कूटर लेकर मैं तीर्थाटन के लिए निकला हूं और मेरी आत्मा यह मानती है कि मेरे पिताजी की भी आत्मा सूक्ष्म रूप से इस तीर्थ यात्रा में शामिल है।

कृष्ण कुमार जी ने बताया कि वर्षों की तीर्थ यात्रा में तमाम धर्माचार्य और भक्तों से मुलाकात की है। मुझे इस सब जगह समुचित सहयोग, सम्मान और समर्थन मिलता रहा है। इस यात्रा के पूरा होने के बाद कृष्ण कुमार अपना यात्रा वृतांत लिखते हुए एक पुस्तक भी प्रकाशित कर सकते हैं ।

रिपोर्टर: एकता तिवारी 


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