छत्तीसगढ़ में भूकंप से काँपी धरती, तेज गड़गड़ाहट के साथ घरों में पड़ी दरारें, दहशत में लोग
भूकंप आने के बाद घरों में पड़ी दरारें


कोरबा : देश के कई हिस्सों में लगातार भूकंप के झटकों के आने का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में रविवार सुबह करीब 9 बजे छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोरबा जिले में भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं. हालाँकि इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है.  रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.9 मापी गई है. भूकंप का केंद्र कोरबा पश्चिम के जमीन के नीचे 5 किलोमीटर अंदर था.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के मुताबिक भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग आपने घरों से बहार भागने लगे थे. भूकंप आने के बाद वहां अफरा तफरी का माहोल हो गया है.  कोरबा में तो गड़गड़ाहट कि आवाज के साथ तेज धमाके कि आवाज सुनाई दी.  यही नहीं पसान क्षेत्र के कच्चे पक्के मकानों में दरारें तक पड़ गई हैं. बताया जा रहा है कि यहां भूकंप करीब 3 से 4 सेकेंड तक आया था. लोगों में अभी भी दहशत का है माहौल बना है.  

गौरतलब है 10 अगस्त को हिमाचल प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. ये झटके लाहौल एवं स्पीति में महसूस किये गए थे. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप देर रात महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.3 दर्ज की गई. यहां भी किसी तरह के नुकसान कि खबर सामने नहीं आई है. भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग चीखने लगे और घरों कि बालकनी से कूद गए थे. 

क्यों आता है भूकंप? 
भूकंप क्यों आता है ? इस बारे में कई बार अलग-अलग राय जानने को मिली है.  भूकंप आने के कारणों के पीछे  धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं जो लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट एक साथ जब आपस में टकराती हैं, तब उनसे दूर जाती हैं तब धरती हिलने लगती है. जो भूकंप का रूप ले लेती है. जिसकी वजह से कई बार भारी नुकसान भी देखने को मिलता है.  भूकंप कि तीरवता जिससे मापी जाती है उसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहा जाता है.

कितनी तीव्रता वाले भूकंप से होगा नुकसान 

0 से 1.9- सिर्फ सिस्मोग्राफी से पता चलेगा.
2 से 2.9- हल्के झटके लगते हैं.
3 से 3.9- कोई तेज रफ्तार गाड़ी आपके बगल से गुजर जाए, ऐसा असर होता है.
4 से 4.9- खिड़कियां हिलने लगती है. दीवारों पर टंगे सामान गिर जाते हैं.
5 से 5.9- घरों के अंदर रखे सामान जैसे फर्नीचर आदि हिलने लगते हैं.
6 से 6.9- कच्चे मकान और घर गिर जाते हैं. घरों में दरारें पड़ जाती है.
7 से 7.9- बिल्डिंग और मकानों को नुकसान होता है. गुजरात के भुज में 2001 और नेपाल में 2015 में इतनी तीव्रता का भूकंप आया था.
8 से 8.9- बड़ी इमारतें और पुल धाराशायी हो जाते हैं.
9 और उससे ज्यादा- सबसे ज्यादा तबाही. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे भी धरती हिलती हुई दिखेगी. जापान में 2011 में सुनामी के दौरान रिक्टर स्केल पर तीव्रता 9.1 मापी गई थी.

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