पहले सूर्य मिशन के लिए भारत तैयार
फाइल फोटो


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से भारत ने इतिहास रच दिया है। अब भारत ने सूर्य पर फतह करने की ठान ली है। आज भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल1 (Aditya-L1) लॉन्च होने वाला है।

चंद्रयान-3 के सफल मिशन के बाद पूरी दुनिया की नजर भारत पर है और सभी को उम्मीद है कि भारत इस मिशन को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लेगा। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आदित्य-एल1 मिशन है क्या, कब और कितने बजे लॉन्च होगा और इसको कहां से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने आदित्य-एल1 (Aditya-L1 Mission) लॉन्च की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ (S Somnath) का कहना है कि इसरो सौर मिशन ‘आदित्य-एल1’ के लॉन्च के लिए तैयार है। शुक्रवार को इसरो ने काउंटडाउन भी शुरू कर दिया है।

आदित्य-एल1 मिशन

आदित्य-एल1 मिशन भारत का पहला सौर मिशन है, जिसकी मदद से भारत सूर्य से जुड़े रहस्यमयी सवालों के जवाब इकट्ठा करेगा। इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इसरो के मुताबिक, इस मिशन को आज यानी 2 सितंबर की सुबह 11.50 पर लॉन्च किया जाएगा।  

एल-1

भारत ने अपने उपग्रह को लांग्रेंजियन-1 बिंदु पर स्थापित करने के लिए आदित्य-एल1 लॉन्च करने की तैयारी की है।  इस यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच की गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लांग्रेंजियन बिंदु के चारों ओर एक हेलो ऑर्बिट में रखा जाएगा। यह ऑर्बिट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है, जहां पहुंचने के लिए यान को कुल 4 महीने का समय लगेगा।

इस बिंदु को चुनने का कारण

दरअसल, आदित्य-एल1 यान को लांग्रेजियन बिंदु पर इसलिए स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि सूर्य और पृथ्वी जैसे दो-पिंड लांग्रेज बिंदु एक ऑप्टिम पॉइंट्स बन जाता है। यहां किसी भी यान को कम ईंधन की खपत के साथ रख सकते हैं। गौरतलब है कि सोलर-अर्थ सिस्टम में कुल पांच लांग्रेज बिंदु है, जहां आदित्य एल1 जा रहा है। पृथ्वी से L1 की दूरी, सूर्य से पृथ्वी की दूरी का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा है।

क्या है आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य

आदित्य-एल1 मिशन सौर गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए लॉन्च होगा। यान के पेलोड (उपकरण) सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना, फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फीयर,  कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियां और उनकी विशेषताएं, सौर तूफान की उत्पत्ति आदि कारकों का अध्ययन करेगा। वर्तमान समय में इसरो इस बात पर भी अध्ययन करेगा कि आखिर अंतरिक्ष के मौसम पर सूर्य की गतिविधियों का क्या प्रभाव पड़ता है।

आदित्य-एल-1 की चार महीने लंबी यात्रा

आदित्य एल-1 यान को अपने ऑर्बिट तक पहुंचने में चार महीने का समय लगेगा। सबसे पहले अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद, ऑर्बिट को और अधिक अण्डाकार बनाया जाएगा और बाद में ऑन-बोर्ड प्रणोदन (Propulsion) का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को L1 की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा।

L1 की ओर बढ़ते समय आदित्य-एल1 यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा। जिस दौरान यान गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलेगा, उसके बाद इसका 'क्रूज चरण' शुरू हो जाएगा और अंत में यान को L1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

मिशन में आया कितना खर्च

इसरो के इस मिशन में चंद्रयान-3 मिशन से भी कम खर्च आया है। इस सौर मिशन में 400 करोड़ रुपये खर्च हुए है, जबकि NASA की ओर से लॉन्च किए गए सौर मिशन में लगभग 12, 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 


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