बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि एक अखाड़ा और एक घराने का ही दबदबा रहता था. हमने इस पर रोक लगाने का काम किया. हमने पूरे देश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने का काम किया. यह काम कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा है.