अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी बसपा प्रमुख मायावती को अब सिर्फ दिन में सपने आते हैं। सिर्फ जातिगत राजनीति को तवज्जो देकर अपनी राजनीति को चमकाने वाली मायावती मुसलमानों को अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह से भय को दिखाने की नाकाम कोशिश करती हैं।