गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से रिटायर होने के अवसर पर दिए गए भावुक भाषण के बाद देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी शायद अपराधबोध के बोझ से दब गये हों। यह भी हो सकता है कि अंसारी को लग रहा हो कि उन्होंने भारत के मुसलमानों की स्थिति पर जो हाल के दौर में वक्तव्य दिए थे वे शायद सही नहीं थे।
लेखक की कलम से: सामाजिक समीकरण साधने में नाकाम योगी पर आलकमान को नहीं है पूरा भरोसा
उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधान सभा चुनाव होने हैं। बीजेपी सत्ता में रिटर्न होगी या फिर हमेशा की तरह यूपी के मतदाता इस बार भी बदलाव की बयार बहाने की परम्परा को कायम रखेंगे ?