यूनिपे: एमएसएमई और उनके कर्मचारियों को सशक्त बनाने का नया माध्यम
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नई दिल्ली : मिलिए राज से, जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित एक व्यस्त मैन्युफैक्चरिंग फ़ैक्टरी के मालिक हैं। उनकी फ़ैक्टरी, जो देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का एक सूक्ष्म रूप है, 200 से अधिक कुशल कर्मचारियों को रोजगार देती है। राज गर्व महसूस करता है कि वह भारत की विकास कहानी में योगदान करता हैं, लेकिन पीछे के पर्दे में, उन्हें समय पर पेरोल प्रोसेस करने में लगातार चुनौती का सामना करना पड़ता है।


यूनिपे पेरोल फाइनेंस
500 मिलियन से अधिक कार्यबल वाले देश में, पेरोल जटिलताएँ केवल बहीखाते पर संख्याएँ नहीं हैं बल्कि हर परिवार की जरूरतों को पूर्ण करने का आधार है। राज के लिए, प्रति व्यक्ति प्रति माह औसतन 15,000 रुपये का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना एक कठिन काम बना हुआ है। उसकी फ़ैक्टरी के कैश फ्लो के उतार-चढ़ाव ने अक्सर रुकावट पैदा की है, जिसके परिणामस्वरूप वेतन के विलंब, कर्मचारियों के मनोबल में कमी, और उत्पाद क्षमता अपनी वास्तविक क्षमता से कम हो गई।

वास्तविकता: $75 बिलियन के वेतन भुगतान में देरी
जब राज इन चुनौतियों से जूझ रहे थे, उन्हें भारत में पेरोल फाइनेंस की एक विकासशील ताकत, यूनिपे में आशा की किरण मिली। यूनिपे का इनोवेटिव सॉफ्टवेयर उसके सामने था, जो फाइनेंसिंग परिदृश्य को नया आकार दे रहा है और देश भर में 200 मिलियन औपचारिक रूप से कार्यरत भारतीय कर्मचारियों को सशक्त बनाने की इच्छादृष्टि के साथ आगे बढ़ रहा है।

यूनिपे अपना जादू कैसे करता है
राज के लिए, यूनिपे का सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म प्रमुख प्रॉडक्ट के रूप में पेरोल फाइनेंस ऑफर करता है जो वेतन भुगतान में देरी का समाधान और सैलरी एडवांस से जुड़ी वर्किंग कैपिटल में कमी जैसी चुनौतियों का हल करता है। यूनिपे ने राज की कर्मचारी मैनेजमेंट और व्यावसायिक वर्कफ़्लो में सहजता से मिलकर सैलरी प्रोसेस और कर्मचारियों के संचालन के लिए एक सहज अनुभव सुनिश्चित किया।

पेरोल फाइनेंस के साथ साथ, यूनिपे ने कर्मचारियों की डिजिटल ऑनबोर्डिंग, स्वचालित कंप्लायंस और वेतन वितरण जैसी सुविधाओं के साथ अपने प्रमुख प्रॉडक्ट को समृद्ध किया। इस व्यापक दृष्टिकोण ने व्यवसायों को न केवल समय पर वेतन भुगतान की गारंटी दी, बल्कि ऑनबोर्डिंग को सुव्यवस्थित करने, कंप्लायंस कार्यों को स्वचालित करने और वेतन वितरण प्रक्रिया को सरल बनाया।

यूनिपे की जीत का फॉर्मूला
“पारंपरिक बैंकों और एनबीएफसी के विपरीत, जो वार्षिक ऐसेट चक्र और धीमी अंडरराइटिंग से जूझ रहे हैं, यूनिपे पूर्वानुमान एनालिटिक्स के सहारे सफल हुआ। पेरोल फाइनेंस की नियमित प्रकृति ने तुरंत फ़ीडबैक प्रदान किया, जिससे यूनिपे को स्पष्ट पूर्वानुमानों के साथ आत्मविश्वास से बढ़ने और ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध बनाने में सक्षम बनाया,” अभिजीत वर्मा, को फाउंडर एवं वीपी फाइनेंस, कहते हैं।

यूनिपे की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ
केवल एक वर्ष में, यूनिपे ने एक अद्भुत ट्रैक रिकॉर्ड - शून्य नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) के साथ $15 मिलियन की वार्षिक वितरण दर का दावा किया। आगे की यात्रा महत्वाकांक्षी है, जिसमें कर्मचारी मैनेजमेंट, कंप्लायंस, टैक्स और बहुत कुछ पहलू शामिल हैं। यूनिपे का लक्ष्य एमएसएमई (MSME) और उसके कर्मचारियों के लिए क्रेडिट यूनिवर्स बनने की आकांक्षा रखते हुए अपनी पहुंच का विस्तार करना है।

महत्व: फाइनेंशयल इन्क्लूजन
"यूनिपे न केवल समय पर पेरोल की समस्या का समाधान करता है; यह भारत में फाइनेंशयल इन्क्लूजन क्रांति में सबसे आगे है। न केवल राज जैसे व्यवसाय मालिकों को बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ - कर्मचारियों को सशक्त बनाकर - यूनिपे ऐसे भविष्य में योगदान दे रहा है जहां वित्तीय सेवाएं सुलभ और योग्य हों; और व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय समृद्धि के लिए उत्प्रेरक है। इसका प्रभाव व्यावसायिक मेट्रिक्स से परे है; यह लाखों लोगों के जीवन को छूता है, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देता है। यूनिपे एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहां प्रत्येक भारतीय कर्मचारी के पास उनके कार्य जीवन में सहजता से समाहित वित्तीय टूल्स हैं, जो सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करते हैं,” साहिल अरोड़ा, को फाउंडर एवं वीपी सेल्स, कहते हैं।

 
“भारतीय वित्तीय बाजारों की तेज बदलती स्थिति में, सही ऋण प्रॉडक्ट्स की जरुरत बढ़ती जा रही है। यूनिपे का पेरोल फाइनेंस सॉल्यूशन केवल वर्तमान की मुश्किलों का ही नहीं है; यह आज के विविध और बदलते आर्थिक परिवेश में विकास और स्थिरता में सहायक वित्तीय समाधान की महत्वपूर्ण भूमिका का सबूत है," कहते हैं अनुपम आचार्य, यूनिपे के को फाउंडर एवं सीईओ।

 
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