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पितृ पक्ष के दौरान किए जाते हैं पितरों के लिए श्राद्ध और पिंडदान
फाइल फोटो


29 सितंबर 2023 से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है जिसका समापन 14 अक्टूबर को होगा। समय पितरों के लिए समर्पित है। पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब पितरों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। वहीं अगर सही ढंग से श्राद्ध न किया जाए तो व्यक्ति को पितरों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है जिसके फलस्वरूप जातक को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है।

पितृ दोष के लक्षण

यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितृ दोष के कारण जातक को कड़ी मेहनत के बाद भी किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती। साथ ही वह संतान सुख से भी वंचित रह जाता है। घर में नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है जिस कारण गृह- क्लेश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

इन कारणों से लगता है पितृ दोष

  • पितरों का अपमान करने वाले लोग पितृ दोष का सामना करते हैं।
  • किसी सांप को मारने से भी पित दोष लग सकता है।
  • पितरों का सही ढंग या पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार न करने से भी व्यक्ति को पितृ लग सकता है।
  • पितरों का श्राद्ध न करने से भी पितृ नाराज होते हैं। 
  • पीपल, नीम, बरगद के पेड़ को कटवाना भी पितृ दोष का एक कारण हो सकता है।

बचाव के उपाय

पितृ पक्ष को पितरों के ऋण से मुक्ति पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है। ऐसे में आप पितृ पक्ष के दौरान विधि-विधान पूर्वक अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध आदि द्वारा पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं। साथ ही इससे पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है, जिस कारण जातक को जीवन में प्राप्त होती है।  

साथ ही प्रतिदिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। जल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में अर्घ्य दें। क्योंकि दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी गई है ऐसे में इस उपाय से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

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