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ये पांच दिन भीष्म पितामह को हैं समर्पित
फाइल फोटो


कार्तिक माह में आने वाले भीष्म पंचक को शास्त्रों में शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान उपवास व पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है। भीष्म पंचक को विष्णु पंचक के नाम से भी जाना जाता है। इन पांच दिनों तक पितामह भीष्म ने अपनी मृत्यु की तैयारी के लिए उपवास किया था।

भीष्म पंचक तिथि

ऐसा कहा जाता है कि एकादशी के दिन इस व्रत भीष्म पितामह का स्मरण करके शुरू करना चाहिए और पूर्णिमा या पूर्णिमा पर समाप्त करना चाहिए। यह व्रत 23 नवंबर से शुरू होगा और इसका समापन 27 नवंबर 2023 को होगा।

भीष्म पंचक के दौरान इन मंत्रों से करें भगवान विष्णु की पूजा

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

भीष्म पंचक का महत्व

विष्णु पंचक पांच दिनों तक की जाने वाली एक पूजा अवधि है, जो कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिनों के लिए अलग रखी गई है। भगवान विष्णु ने अपने उन साधकों पर आशीर्वाद बरसाने का वादा किया जो श्री कृष्ण के नाम का व्रत, पाठ, श्रवण, जप करते हैं।

ये पांच दिन भीष्म पितामह को समर्पित हैं। कार्तिक-व्रत का पालन करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि व्रत के अंतिम पांच दिनों में केवल दूध या पानी का सेवन करें और पूरे महीने अनाज खाने से परहेज करें।

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