कान्स से टाइम्स स्क्वायर तक, 'क़ैद - नो वे आउट' बस आगे ही बढ़ती जा रही है
फिल्म क़ैद


इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल सर्किट में क्रिटिकल प्रशंसा पाने के बाद, सोनिया कोहली की फिल्म 'क़ैद - नो वे आउट'  सफलता की नयी ऊंचाइयों को छू रही है और अब फिल्म ने न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर के प्रतिष्ठित बिलबोर्ड पर अपनी जगह बनायीं। फिल्म अभी हाल ही में भारत में सिनेमाघरों  में रिलीज़ की गयी और यहाँ पर इस फिल्म को ऑडियंस और क्रिटिक दोनों का ही भरपूर प्यार मिला। इस फिल्म को एक मस्ट वॉच  सिनेमाई अनुभव का खिताब दिया गया है। 

टाइम्स स्क्वायर पर "कैद - नो वे आउट" का पोस्टर फिल्म की सम्मोहक  कहानी का प्रमाण है, जो रहस्य, नाटक और मानवीय भावनाओं से भरपूर है।। कभी न सोने वाले शहर के क्षितिज पर फिल्म के पोस्टर को  देखना इस बात का प्रमाण है कि इस फिल्म ने सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली है। इस फिल्म ने ऑडियंस के दिलों दिमाग पर अपना असर दिखा दिया है।

 फिल्म को पहले कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में एलजीबीटीक्यू श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और अब टाइम्स स्क्वायर तक का उसका सफर, उसकी जीत का प्रमाण है। सोनिया कोहली द्वारा लिखित, निर्देशित और निर्मित, "कैद- नो वे आउट" में ताई खान, मोहिंदर मोहन कोहली, अश्विनी किन्हीकर, आशीष दत्ता, सोनिया गोस्वामी और खालिद महमूद जैसे कई शानदार कलाकार हैं।

 फिल्म लंदन में स्थित है और यह कहानी जिगर की है जो लंदन अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जीने के लिए जाता है और यहाँ उसकी किस्मत उसे एक ऐसे जाल में फंसा देती है जिस से वह बाहर नहीं निकल पाता।  फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है और यह ऑडियंस को सामाजिक पूर्वाग्रह और भेदभाव से जूझ रहे एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों के जीवन की एक गहन यात्रा के बारे में बताएगी।

 फिल्म को कुनिष्का प्रोडक्शन लिमिटेड ने प्रोड्यूस किया है और  इस फिल्म के साथ दुनिया भर में लोग कनेक्ट कर पा रहे हैं। फिल्म की ग्रिपिंग कहानी और शानदार पर्फॉर्मन्सेस ने सभी के दिल जीत लिए  हैं। फिल्म की सफलता उन कहानियों को बताने के महत्व का प्रमाण है जो समाज में स्वीकृति और समानता के लिए  संघर्ष कर रही है। यह फिल्म उनके संघर्ष पर प्रकाश डालती है।

 'क़ैद- नो वे आउट'  ऑडियंस और क्रिटिक दोनों को बहुत पसंद आ रही है और टाइम्स स्क्वायर पर इसकी उपस्थिति इसकी सफलता का प्रतीक है और एक प्रभावशाली कहानी को ऑडियंस द्वारा स्वीकार करने का जश्न है।

कान्स से टाइम्स स्क्वायर तक फिल्म की यात्रा सीमाओं को पार करने, बातचीत को बढ़ावा देने और बदलाव को प्रेरित करने की सिनेमा की शक्ति का एक प्रमाण है।



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