रोज़ सुबह चेहरे पर मुह की राल लगा लीजिये, ब्यूटी क्रीम से भी ज़्यादा असरदार होगी
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रिपोर्ट :- वैभव तिवारी , लखनऊ

 दुनिया की एक बहोत बड़ी सच्चाई है कि हर इंसान सुंदर और आकर्षक ही दिखना चाहता है, और खासकर की बिना रंग पर भेद भाव की बात करते हुए, ये भी एक बहोत बड़ी सच्चाई है कि हर इंसान गोरा दिखना चाहता है, एक गोरे इंसान के लिए यह कहना बहोत आसान है की रंग से कोई फर्क नही पड़ता पर ये भी एक सच्चाई है कि सांवरा इंसान दुनिया मे जो रेसिस्म को झेलता है उसका दुख वही जानता है। हालांकि ये बात तो हो गयी रंग की इसका तो कोई इंसान कुछ नही कर सकता है, क्योंकि ये चीज़ उसको ऊपर वाले से मिलती है, और रंग पर भेद भाव करना एक बेवकूफ इंसान की निशानी होती है।
लेकिन कुछ चीज़ें जो इंसान के हाथ मे होती है वो है अपनी त्वचा और अपने सेहत का ध्यान दे, ये सब चीज़ें तो उसी इंसान पर निर्भर करती है कि वो कैसे दिखना चाहता है।लोग अक्सर ब्यूटी क्रीम में पैसे बर्बाद करते रहते है, या तो गोरा करने के लिए या चेहरे का ग्लो बढ़ाने के लिए, और किस क्रीम का क्या असर होता है ये हम नही बता सकते। आइये हम आप को एक ऐसा देसी इलाज बताते है जो पूरी तरह स असरदार भी है और पूरी तरह से मुफ्त है यानी फ्री, वो है आप के मुह के अंदर पाए जाने वाली राल या जिसको अंग्रेज़ी में सलाइवा(saliva) भी कहा जाता है। सलाइवा के बहोत सारे फायदे होते है, कहा जाता है कि रात भर की राल को सुबह बिना टूथब्रश किये हुए, पानी पीने से हमारी राल हमारे मुह के अंदर जाती है, जो हमारे खाने को पचाने में बहोत काम करती है, यहां तक कि उत्तेजित बाहर का मसालेदार खाने को हमारे शरीर मे शांत करती है।यहां तक सलाइवा हरे दांतो और मसूडों को सुरक्षित करती है और बाहर के बैक्टीरिया को शरीर मे अंदर जाने से रोकने का काम करती है।हालांकि ये बात तो सभी बचपन से सुन रहे है, अगर नही सुना है तो अब तो जान ही गए होंगे।


सलाइवा यानी राल को चेहरे पर लगाने के फायदे

सुबह मुह की राल को चेहरे पर लगाने से, बताते है हमारे चेहरे पर मौजूद जर्म्स जिनकी वजह से स्किन खराब होती है और दाने आते है, उसको ठीक करता है, और चेहरे को सफाई से क्लेनसिंग भी करता है, हालांकि सुनने में घिन आ रही होगी आप को, लेकिन खुद का ही राल चेहरे पर लगाने से क्या ही नुकसान है। हमारे सलाइवा में मौजूद तत्व, हमारे स्किन को रिपेयर करने का काम करती है, यहां तक कि बचपन मे सुना होगा कि राल को चोट पर लगाया जाता था, जिससे चोट जल्दी ठीक हो जाती थी,यही वजह से इसका फायदा स्किन में भी देखा जाता है,  और यही प्रक्रिया जानवर भी अपनाते है अपनी चोट को ठीक करने के लिए।


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