तेजस्वी यादव ने नवरात्रि में उठाया मछली, लुत्फ, वीडियो किया शेयर, बीजेपी ने घेरा
मछली दिखाते तेजस्वी यादव


पटना : बीते दिनों लालू यादव ने राहुल गांधी के साथ सावन के महीने में मटन की रेसिपी तैयार की थी और उसका सेवन भी किया था. तब विवाद हुआ था कि बिहार में सावन के महीने में मांसाहार से परहेज किया जाता है, ऐसे में लालू यादव ने ऐसा कैसे और क्यों किया. बाद में लालू यादव और उनके परिवार की ओर से काफी सफाई भी दी गई थी. अब मंगलवार को चैत्र नवरात्रि शुरू हुई है और तेजस्वी यादव ने मछली खाते हुए अपना एक वीडियो शेयर कर दिया है, जिसको लेकर वह सियासी तौर पर घेरे जा रहे हैं.

दरअसल, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट किया है. इसमें यह देखा जा सकता है कि तेजस्वी यादव की बगल में वीआइपी नेता मुकेश सहनी बैठे हैं और दोनों नेता भोजन कर रहे हैं. तेजस्वी यादव बता रहे हैं कि मुकेश साहनी अपने घर से छेचढ़ा मछली बनवा कर लाए हैं. वीडियो में तेजस्वी यादव यह कहते हुए देखे जा रहे हैं कि इस भुनी हुई मछली के साथ रोटी, प्याज, मिर्च और नमक भी है. इसके अलावा भीषण गर्मी में लू न लगे और चुनाव प्रचार जोरशोर से जारी रहे इसलिए भोजन के साथ सत्तू, तरबूज, बेल के शरबत के साथ मट्ठा भी है.

इस वीडियो में सहनी दावा कर रहे हैं कि महागठबंधन बिहार की सभी 40 सीटे जीतेगा. साथ ही भोजन के बारे में बताते हुए मुकेश सहनी ये भी कहते हैं कि वीडियो को देख काफी लोगों को मिर्ची भी लगेगी. चुनाव प्रचार के बीच एक्स मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो को अब तक काफी लोग देख चुके हैं और इस पर काफी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

दरअसल, लालू यादव ने सावन के महीने में मटन खाया था, जबकि बिहार में हिंदू लोग सावन को पवित्र महीना मानते हैं और मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं. लेकिन, लालू यादव ने न केवल मटन बनाने में राहुल गांधी की मदद की बल्कि पूरे परिवार संग इसका लुत्फ भी उठाया था. इसको लेकर उनपर खूब सियासी हमले किए गए थे.

विजय सिन्हा ने कहा, ' ये लोग सनातनी बनना चाहते हैं लेकिन सनातनी संस्कार सीख नहीं पाए .. सावन में मटन खाते हैं और नवरात्र में मछली खाना. वोट के लिए इतने गिर गए हैं ये लोग .. धर्म , संस्कार को लज्जित करते हैं ये लोग. ये लोग धर्म का अपमान करते हैं.'

वहीं गिरिराज सिंह ने कहा, 'तेजस्वी जी सीजनल सनातनी हैं, तुष्टिकरण के पोषक हैं. जब इनकी सरकार थी तो वोट की खातिर इनके पिताजी ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को अवैध तरीके से बसाया. काफी संख्या में ऐसे लोग आए थे. ये वोट के सौदागर हैं, ना कि सनातनी पुजारी हैं. ये सनातन का लबादा ओढ़कर तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं.


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