तीन राज्यों में कांग्रेस की हार से आक्रमक हुए इंडी गठबंधन के सहयोगी दल, लोकसभा से पहले बढ़ा प्रेशर
अखिलेश और राहुल


नई दिल्ली : चार राज्यों में संपन्न हुए चुनाव के नतीजे आ गये है. इन चार राज्यों में से दो राज्यों में समाजवादी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार उतारे थे, जहां उसका सूपड़ा साफ हो गया है. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपना पुराना प्रदर्शन भी नहीं दोहरा सकी. जिसके चलते राजस्थान में बसपा की न सिर्फ सीटें घटी, बल्कि 2018 विधानसभा चुनावों के मुक़ाबले चुनावी राज्यों में वोट प्रतिशत भी गिरा है. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी भी हिंदी बेल्ट से पूरी तरह से बाहर हो गई है. कांग्रेस की इस हार से  ‘इंडी गठबंधन’ में उसके प्रभाव को भी चोट पहुंची है. जो कहीं न कहीं आने वाले दिनों कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है.

उत्तर प्रदेश में इंडी गठबंधन में फिलहाल सपा और रालोद ही शामिल हैं. वहीं बसपा को इसमें जोड़ने के प्रयास जारी हैं. ऐसे में विपक्षी दलों की 2024 की पूरी रणनीति पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों पर टिकी थी. इसके चलते परिणाम तक गठबंधन की सारी गतिविधियां ठप थीं. अगर, पांच राज्यों में चुनावी प्रदर्शन के लिहाज से देखें तो बसपा पिछली बार इन तीन राज्यों में 10 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. वहीं इस बार सिर्फ राजस्थान में ही दो सीटें हासिल कर सकी. उधर, सपा जहां पिछली बार एक सीट एमपी में जीतने में कामयाब हुई थीं, वहीं इस बार उसका पत्ता पूरी तरह से साफ है.

कांग्रेस की हार से आक्रामक हुए सहयोगी दल
गौरतलब है चुनावी राज्यों में कांग्रेस की हार से इंडी गठबंधन में शामिल दल नाराज हो गए हैं. सपा प्रवक्ता आमीक जामेई ने कहा कि कांग्रेस को अब यह तय करना होगा कि उसे बीजेपी से लड़ना है या क्षेत्रीय दलों सेसंघर्ष करना है. उनका निशाना मध्यप्रदेश में हुई घटना को लेकर था. वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनावों में हार का कारण कांग्रेस का अंहकार बताया. अन्य सहयोगी दलों के नेताओं ने भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. ऐसे में अब 6 दिसम्बर को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में भी गहमागहमी होना तय है.


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