राम जन्म होते ही खुशी में डूब गए अयोध्यावासी
रामलीला के कलाकार


सिद्धार्थनगर : जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र का ऐतिहासिक राममिला इस समय तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत चौखड़ा में आदर्श जय बजरंग रामलीला समिति के तत्वधान में चल रहा है जिसका शुभारंभ है उप जिलाधिकारी डुमरियागंज कुणाल सिंह द्वारा फीता काटकर और आरती उतारकर किया गया l 

गत रात्रि रामलीला कार्यक्रम में दिखाया गया कि श्रवण कुमार अपने माता पिता को लेकर चारों धाम की यात्रा पर जाते हैं अयोध्या पहुंचने पर उनके माता-पिता को प्यास लग जाती है श्रवण कुमार माता-पिता की प्यास बुझाने के लिए पानी लेने जाते हैं कि राजा दशरथ हिरण समझकर शब्दभेदी बाण मार देते हैं बाद में उन्हें पश्चाताप होता है श्रवण कुमार के कहने पर वह पानी लेकर उनके माता-पिता के पास जाते हैं तथा सारा वृतांत बताते हैं श्रवण कुमार के माता-पिता उनको शाप देते हैं कि जैसे पुत्र वियोग में दम तोड़ रहे हैं उसी तरीके से राजा दशरथ तुम भी पुत्र वियोग में दम तोड़ोगे राजा दशरथ इससे घबराकर क्षमा याचना करते हैं 

इसके बाद रामलीला कार्यक्रम में दिखाया गया कि राजा दशरथ गुरु वशिष्ट के पास जाते हैं और पुत्र प्राप्त होने की बात करते हैं गुरु वशिष्ठ श्रृंगी ऋषि को बुलवाकर पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करते हैं जहां अग्निदेव प्रसन्न होकर राजा दशरथ को हवि देते हुए कहते हैं कि यह ले जाकर अपने रानियों को खिला दो इससे चार पुत्र प्राप्त होंगे राजा दशरथ वैसा ही करते हैं चार पुत्रों की प्राप्ति होती है गुरु वशिष्ठ द्वारा चारों पुत्रों का नामकरण राम , लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के रूप में किया जाता है 

उधर विश्वामित्र जी क्या करते हैं जहां मारीच और सुबाहु उनका यज्ञ नष्ट कर देते हैं विश्वामित्र जी को एहसास होता है कि भगवान विष्णु ने राम के रूप में राजा दशरथ के यहां अवतार लिया है वह अयोध्या पहुंचे हैं जहां राजा दशरथ से राम लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगते हैं राजा दशरथ से इनकार करते हैं लेकिन बाद में गुरु वशिष्ट के कहने पर राम लक्ष्मण को उनको सौंप देते हैं विश्वामित्र जी राम लक्ष्मण को लेकर तारक बन में पहुंचते हैं या उन्हें भयंकर राक्षसी ताड़का मिलती है रामचंद जी एक ही बाण में उसे मार डालते हैं

विश्वामित्र जी राम लक्ष्मण को लेकर अपने आश्रम में पहुंचते हैं जहां यह तो होता है तब तक मारीच और सुबाहु अपनी सेना लेकर पहुंचते हैं राम और लक्ष्मण सभी राक्षसों का बध कर देते हैं तथा मारीच को बिना नौक का बाण मारकर लंका भेज देते हैं विश्वामित्र जी का यज्ञ संपन्न हो जाता है कि राजा जनक एक ब्राह्मण द्वारा विश्वामित्र जी के पास बुलावा पत्र भेजते हैं जिसमें सीता स्वयंवर की बात कही गई थी विश्वामित्र जी राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर की ओर चल देते हैं कि रास्ते में पत्थर की शिला मिलती है रामचंद्र जी उसके बारे में पूछते हैं तब विश्वामित्र जी कहते हैं कि यह गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या है जो पति के शाप से पत्थर को गई है इस शिला पर अपना चरण लगा दीजिए जैसे रामचंद्र जी चरण स्पर्श करते हैं कि पत्थर की सिला नारी बन जाती है और भगवान का गुणगान करते हुए अपने पति लोग चली जाती है विश्वामित्र जी के साथ राम लक्ष्मण जनकपुर पहुंचते हैं जहां पर राजा जनक उनकी अगवानी करते हैं

 इस अवसर पर अरुण कुमार सिंह, डब्बू सिंह ,अर्जुन अर्कवंशी ,भारत यादव ,प्रेम रावत अमित सिंह, आलोक त्रिपाठी, मयंक कसौधन ,धीरू अर्कवंशी, गोपाल अर्कवंशी, जिगर ,बजरंग मिश्रा, मंगल हलवाई ,परमेश्वर गुप्ता, मंगरे रावत ,जयशंकर मिश्रा ओम प्रकाश शर्मा ,धर्मराज, बसंत कौशल, बजरंगी कौशल ,छोटू पांडे, दयालु ,गौरी शंकर ,रामू गुप्ता, प्रमोद अर्कवंशी, गोलू अर्कवंशी ,सनी गुप्ता, रामकला, छोटू,संजय, राजू राधेश्याम ,छोटे सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहेl रामलीला का सफल संचालन ठाकुर प्रसाद मिश्रा ने कियाl

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